महंगाई की आफत ; कहीं 117 तो कहीं 200 रुपये के पार बिक रहा सरसों का तेल

दिल्ली: कोरोना की मार से परेशान आम आदमी की कमर महंगाई ने तोड़ दी है। पिछले एक साल में सरसों तेल से लेकर चाव-दाल-आटे और यहां तक कि चाय की महंगाई ने किचन का बजट तबाह करके रख दिया है। नासिक में सरसों तेल 200 रुपये के पार बिक रहा है तो मुरादाबाद में पाम ऑयल 180 के ऊपर। मैसूर में वनस्पति 212 रुपये तो सोया तेल गंगटोक में 194 रुपये पर पहुंच गया है। वहीं बीकानेर में सूरजमुखी का तेल 227 रुपये किलो पहुंच गया है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि मोदी सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़े बोल रहे हैं। ये आंकड़े 25 जून 2021 के हैं और ये देश में खाद्य तेलों की ये अधिकतम कीमते हैं।

वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 25 जून 2020 के मुकाबले 25 जून 2021 को खाद्य तेलों की कीमतों में 53 फीसद, दालों में 15 फीसद और खुली चाय में 25 फीसद तक उछाल आ चुका है। वहीं चावल के रेट में 4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अगर कोई चीज सस्ती हुई है तो गेहूं, चीनी, गुड़, आलू और टमाटर। एक साल में खाद्य तेलों की कीमतों में ऐसी आग लगी कि सरसों तेल से महंगा रिफाइंड आयल हो गया। पैक पाम तेल 46 रुपये से उछलकर करीब 131 रुपये, सूरजमुखी तेल 112 से 172,  वनस्पति तेल 91 से 133 और सरसों का तेल (पैक) 120 से 170 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। वहीं मूंगफली 138 से 180 और सोया तेल 101 से 152 रुपये लीटर पर पहुंच गया है।  खद्य तेलों की ये औसत कीमत है, यानी कहीं इससे कम और ज्यादा हो सकता है।

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