भलाई

ललित नगरी के मंत्री दिव्यकेतु के अवकाश लेने के बाद महाराज ललित कीर्ति ने मंत्री के रिक्त पद पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवार बुलवाए। कठिन परीक्षा से गुजर कर तीन उम्मीदवार योग्य पाए गए।

तीनों उम्मीदवारों से महाराज ललित कीर्ति ने एक-एक कर एक ही सवाल किया-यदि मेरे और तुम्हारे सिर में एक साथ बाण लग जाए तो तुम क्या करोगे? महाराज, पहले मैं आपके सिर से बाण निकालूंगा। पहले ने उत्तर दिया।

दूसरा बोला-महाराज, पहले मैं अपने सिर का बाण निकालूंगा। तीसरे उम्मीदवार ने सहज भाव से कहा-महाराज, मैं एक हाथ से आपके सिर का बाण निकालूंगा और दूसरे हाथ से अपने सिर का बाण निकालूंगा।

इस पर महाराज ने फरमाया-अपनी जरूरत नजरअंदाज करने वाला नादान है। सिर्फ अपनी भलाई चाहने वाला स्वार्थी है। जो व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाते हुए दूसरे की भलाई करता है, यही बुद्धिमान है। इस तरह महाराज ने मंत्री के पद पर तीसरे उम्मीदवार की नियुक्ति कर दी।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker