यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे तीन चरणों में बसाई जाएगी राया हेरिटेज सिटी
लखनऊ : यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे राया (मथुरा) में विकसित होने वाली हेरिटेज सिटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार हो गई है। डीपीआर बनाने वाली कंपनी मंगलवार को यमुना प्राधिकरण में इसका प्रेजेंटेशन देगी। प्रेजेंटेशन के बाद जो भी सुझाव होंगे, वह इसमें शामिल किए जाएंगे। इसके बाद इस रिपोर्ट को शासन को भेजा जाएगा, ताकि आगामी कार्रवाई शुरू हो सके। हेरिटेज सिटी तीन चरणों में विकसित की जाएगी।
यमुना प्राधिकरण राया में हेरिटेज सिटी विकसित करने की तैयारी में है। इसका मास्टर प्लान प्रदेश सरकार पहले ही पास कर चुकी है। यह पूरी परियोजना 9000 हेक्टेयर से अधिक जमीन में मूर्त रूप लेगी। इसकी डीपीआर बनाने के लिए सीबीआरई कंपनी को जिम्मा दिया गया है। कंपनी ने यमुना प्राधिकरण को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है। कंपनी के प्रतिनिधि मंगलवार को यमुना प्राधिकरण के अफसरों के सामने ड्राफ्ट का प्रेजेंटेशन देंगे। प्रेजेंटेशन में आने वाले सुझावों को इस रिपोर्ट में सम्मिलित किया जाएगा। इसके बाद यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी जाएगी। सरकार की अनुमति के बाद इस पर आगे की कार्रवाई शुरू होगी। ड्राफ्ट रिपोर्ट रिपोर्ट के मुताबिक राया हेरिटेज सिटी तीन चरणों में विकसित की जाएगी। 2024-26 के बीच में पहला चरण विकसित किया जाएगा। दूसरा चरण 2027 से 30 के बीच में विकसित करने की तैयारी है। 2031 के बाद तीसरा व अंतिम चरण विकसित होगा। ड्राफ्ट रिपोर्ट में इसकी सारी जानकारी दी गई है।
ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण में रिवरफ्रंट और पर्यटन जोन विकसित किया जाएगा। पर्यटन जोन 731 हेक्टेयर और रिवर फ्रंट 109 हेक्टेयर में विकसित किया जाएगा। इसमें ब्रज भूमि के सांस्कृतिक और पर्यटन को केंद्र में रखा जाएगा। यह जोन जहां पर विकसित होगा, उसमें चार गांव आ रहे हैं। इसमें पानी गोप, दीवाना, धाकू व कल्याणपुर (कुछ हिस्सा) आएगा। इस जोन से मथुरा, वृंदावन, गोकुल और गोवर्धन को भी जोड़ा जा सकता है ताकि नए वृंदावन को नया महत्व मिल सके। यहां पर आर्ट एंड क्राफ्ट विलेज को भी विकसित करने की पूरी संभावनाएं हैं। जिस इलाके में राया सिटी विकसित की जानी है, वह टीटी जेड (ताज ट्रपैजियम जोन) में आता है। ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, लाल किला समेत तमाम सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए यह जोन बनाया गया है ताकि यहां पर ऐसी गतिविधि ना हो, जिससे इन ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुंचे। इसके चलते इस योजना में प्रदूषण उत्सर्जन वाली गतिविधियां नहीं होंगी। यहां पर वाटर मैनेजमेंट, कूड़ा प्रबंधन आदि का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए योजना बनाई जाएगी ताकि वह की टीटी जेड के नियमों का पालन कर सकें।