हिज्बुल्लाह का गठन करने वाले ईरान के मौलवी अली अकबर की कोरोना से मौत

नयी दिल्ली: आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के संस्थापक मौलवी अली अकबर की कोरोना से मौत हो गई है। मौलवी अली अकबर कभी सीरिया में ईरान का राजदूत भी था। 74 साल की उम्र में अली अकबर की मौत हुई है। मौलवी अल अकबर इरान के सर्वोच्च नेता रहे अयोतुल्लाह रुलाह खोमानी के काफी करीबियों की लिस्ट में शुमार था। साल 1970 में अली अकबर ने मुस्लिम मिलिटेंट ग्रुप के साथ गठजोड़ किया था।

राज्य की न्यूज एजेंसी ‘IRNA’ ने जानकारी दी है कि अली अकबर की मौत नॉर्थ तेहरान के एक अस्पताल में हुई है। अली अकबर के बारे में बताया जाता है कि वो अक्सर काला लिबास पहनना पसंद करते था। ताकि वो खुद को इस्लाम के पैंगम्बर मुहम्मद का अनुयायी बता सके। बताया जाता है कि इरान में हुए विवादित चुनाव के बाद मौलवी अली अकबर पिछले करीब 10 सालों से इराक के पवित्र शहर कहे जाने वाले सिटी ऑफ नजफ में रहता था। एक बम हमले में उसका दाहिना हाथ भी खराब हो गया था।

हिज्बुल्लाह वहीं आतंकी संगठन है जिसपर साल 1983 में बेरूत स्थित यू,ए, एंबेसी पर हमला करने का आरोप लगा था। इस हमले में 63 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद यू.एस. की तरफ से किये गये जवाबी हमले में 241 लोगों की मौत हुई थी। उस वक्त हिज्बुल्लाह ने हमले में अपनी संलिप्ता से इनकार किया था। ले
इरान में अगले हफ्ते होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लीडिंग उम्मीदवार कहे जाने वाले इब्राहिम रेसी ने मौलाना अली अकबर की मौत पर अपनी संवेदना जाहिर की है। बता दें कि साल 1947 में तेहरान में जन्म लेने के बाद अली अकबर की मुलाकात खोमानी से एक मौलवी के तौर पर हुई थी। इसके बाद वो धीरे-धीरे खोमानी का करीबी बन गया। साल 1982 में खोमानी ने अली अकबर को सीरिया में तैनात किया था। इस्लामिक क्रांति के बाद अली अकबर ने इरान में Paramilitary Revolutionary Guard की स्थापना में सहयोग किया।

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