एस्मा : कर्मचारियों के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन : ललन कुमार

योगी सरकार की कायरता ने उसके तानाशाही रवैये को जन्म दिया है।

कर्मचारियों की आवाज़ दबाने के लिए सरकार बार-बार एस्मा का उपयोग कर रही है।

शिक्षामित्रों और अनुदेशकों का मानदेय बढाने का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ।

लखनऊ, 31 मई 2021 | उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के संयोजक ललन कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में तीसरी बार एस्मा लगाए जाने के बाद सरकार की नियत पर सवाल उठाए।

उत्तर प्रदेश सरकार समय-समय पर अपने तानाशाह रवैये का परिचय देती रहती है। सरकार में तानाशाही का उसकी कायरता के कारण आयी है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एस्मा को तीसरी बार 06 महीने की अवधि के लिए लगाया गया। इसके तहत उत्तर प्रदेश राज्य के कार्यकलापों से सम्बंधित किसी लोकसेवा और सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी निगम के अधीन किसी सेवा तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी सेवा से सम्बंधित कर्मचारी अगले 06 माह तक हड़ताल पर नहीं जा पाएँगे। अर्थात सरकार किसी भी प्रकार के आदेश कर्मचारियों पर थोप सकती है, उनके साथ बिना किसी ऑब्जेक्शन के अन्याय किया जा सकता है और कर्मचारी विरोध स्वरुप अपनी कोई माँग सरकार के समक्ष नहीं रख सकते।

भारतीय लोकतंत्र देश के हर नागरिक को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हड़ताल करने या किसी अन्य तरीके से विरोध दर्ज कराने की इजाज़त देता है। सरकार ने यह तुगलगी फ़रमान निकालकर उन कर्मचारियों के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन किया है। अपनी माँगों को लेकर प्रदेश के विभिन्न विभागों से सम्बंधित कर्मचारी हड़ताल के ज़रिये अपनी इन माँगों के समक्ष रखते हैं। जिसको सुनना एवं हल निकालना सरकार का कार्य है। परन्तु सरकार अपने कर्तव्यों से भागते हुए कर्मचारियों के अधिकार छीन रही है।

शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों द्वारा लम्बे समय से की जा रही मांगों को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आश्वासन दिया था कि शिक्षामित्रों का मानदेय 10000 एवं अनुदेशकों का मानदेय 17000 किया जाएगा जिससे प्रदेश के 30 हज़ार शिक्षा मित्रों एवं 34000 अनुदेशकों को फायदा मिलेगा। मगर आज तक यह वादा पूरा नहीं हो सका है। इन कारणों से उनका जीवन प्रभावित हो रहा है। ये सभी कर्मचारी अपनी इन माँगों को लगातार सरकार के सामने रख रहे हैं। इनकी आवाज़ दबाने के लिए सरकार बार-बार एस्मा का उपयोग कर रही है।

कोरोना की दूसरी लहर के चलते लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में कई स्वास्थ्य कर्मियों की इस शर्त पर सेवाएँ ली गयीं थीं कि अब उन्हें नियमित कर दिया जाएगा। मगर दूसरी लहर का पीक कम होने पर उन स्वास्थ्य कर्मियों को ठेंगा दिखाते हुए उनकी सेवाएँ लेने से इनकार कर दिया। इस पर स्वास्थ्य कर्मियों ने अपना विरोध जताते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया। अब पुलिस द्वारा उन्हें कहा जा रहा है कि जिद न करो अन्यथा अन्दर कर दिए जाओगे। अभी तो सरकारी नौकरी के कई और मौके मिलेंगे पर यदि एक बार जेल में बंद कर दिए गए तो फिर भविष्य खराब हो जाएगा।

योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार अपने कार्यकाल के शुरुआत से ही झूठे वादे करते आ रही है। मगर 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी उन वादों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। उनके आश्वासनों से त्रस्त होकर जब ये लोग अपनी आवाज़ उठाते हैं तो इसी प्रकार से उनकी आवाज़ को दबा दिया जाता है।

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