एकदा

विश्वविख्यात कवि पाब्लो नेरूदा उन दिनों इटली में रह रहे थे। वहां हर कोई उनकी कविताओं का दीवाना था। कारण यह था कि वे प्रकृति और ईमान व अमन की बातें करते थे। उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने इटली सरकार को विचलित कर दिया।

एक सुबह पुलिस उनको यह कहकर अपने साथ ले गई कि आपके कुछ कागज नकली हैं इसी पर जरूरी कार्रवाई करनी है। पाब्लो जब थाने पहुंचे तो वहां उनको एक सरकारी फरमान पकड़ा दिया गया कि अभी और इसी समय इटली छोड़कर चले जाओ।

वे जैसे ही पुलिस दफ्तर से बाहर निकले तो देखते हैं कि इटली के कलाकार, विद्यार्थी, अभिनेता आदि फूलमाला लेकर खड़े हैं। उन सबने लपक कर पाब्लो नेरूदा को अपने साथ लिया और उन पर फूल बरसाने लगे।

तकरीबन एक घंटा वहां उन पर फूल बरसते रहे और नारों से आसमान गरजता रहा कि पाब्लो हमारी जान हैं, उनको इटली से जाने नहीं देंगे। आखिर जनता की बात माननी पड़ी और सरकार को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।

अब पाब्लो आजाद थे वे इटली में अपनी मर्जी और विचारों के साथ बेफिक्र होकर रह सकते थे। यह एक ऐसी बात थी कि फूलों की बारिश ने सरकार को झुका दिया और पुलिस को समर्पण करना पड़ा।

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