मौत का उपहास
खुदीराम बोस प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। छोटी उम्र में ही हाथ में भगवदगीता लेकर और वंदेमातरम् का नारा लगाते हुए उन्होंने फांसी का फंदा चूम लिया था।
इस युवक को जिस दिन फांसी होने वाली थी, उस दिन वह बहुत खुश था। तभी जेल अधीक्षक ने पूछा, ‘बेटा, तुम्हें कोई चीज खाने के लिए चाहिए?’ खुदीराम बोले, ‘कुछ नहीं
।’ जेल अधीक्षक घर गए और एक फलों से भरी टोकरी लाए और कहा, ‘बेटा, यह खा लो, मीठे आम हैं।’ खुदीराम बोले, ‘बाबा, धन्यवाद!’ फिर वे चले गए। कुछ देर बाद आए और पूछा, ‘बेटा आम खाए नहीं।’ खुदीराम ने कहा, ‘फांसी का फंदा याद आ गया।
’ अधीक्षक ने वार्डर को कहा, ‘यह आम उठा लो।’ वार्डर ने आम उठाए तो वे पिचक गए और खुदीराम ठहाका मारकर हंस पड़े। उन्होंने आम चूसकर फुलाकर रख दिए थे। इस तरह उन्होंने मौत से भी मजाक किया था।