विधानसभा चुनावों में गरमाने लगा CAA का मुद्दा

नई दिल्ली: पांच विधानसभाओं के चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का ठंडा पड़ा मुद्दा फिर से गरमाने लगा है। भाजपा विरोधी दल इसे हर राज्य में जनता के बीच ले जा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वे इसे लागू नहीं होने देंगे। दूसरी तरफ भाजपा इस मुद्दे को अपनी राजनीतिक रणनीति के अनुसार उठा रही है। भाजपा पश्चिम बंगाल में सीएए लागू करने की बात कर रही है, लेकिन असम में वह इस मुद्दे से ही बच रही है।

विधानसभा चुनाव जितने नजदीक आ रहे हैं विभिन्न मुद्दे गरमाने लगे हैं। इससे हर राज्य का माहौल भी अलग-अलग बन रहा है। इनमें एक बड़ा मुद्दा सीएए का है। भाजपा विरोधी दलों ने जनता के बीच जाकर कहना शुरू कर दिया है कि वे अपने राज्य में सीएए को लागू नहीं होने देंगे। केरल में माकपा नेता इस तरह के वादे कर रहें है। वहां पर लगभग 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है और इसका लाभ भी सत्तारूढ़ एलडीएफ को मिल सकता है।

पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा घमासान है। भाजपा वहां पर सीएए लागू करने की बात कर रही है। पार्टी ने नेता बंगाल में अपनी रैलियों में कह रहे हैं कि कोरोना टीका लगने के बाद सीएए को जमीन पर उतारा जाएगा। जबकि असम में भाजपा इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। दरअसल असम व पूर्वोत्तर राज्यों में सीएए को लेकर काफी विरोध है। ऐेसे में भाजपा असम में इस मुद्दे से बच रही है। हालांकि कांग्रेस असम में खुलकर इसे मुद्दा बना रही है और कह रही है कि राज्य में सीएए को किसी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा। असम में लगभग 28 फीसदी मुस्लिम व 20 फीसदी आदिवासी आबादी है। ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे का लाभ लेने की कोशिश में है।

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