हमीरपुर : ठुकराए गए बुजुर्गों की छांव बना वृद्धा आश्रम

0 किसी से अपनों ने मुंह चुराया तो कोई लावारिस
0 आश्रम में तीन दर्जन से अधिक बुजुर्गों को मिल रहा आश्रय
0 अब किसी को नहीं कोई शिकायत, समय से मिल जाता है खाना-पीना
हमीरपुर। 20 मुख्यालय के रानी लक्ष्मीबाई तिराहे में नेशनल हाइवे से लगी बिल्डिंग में संचालित होने वाला वृद्धाश्रम तीन दर्जन से अधिक बुजुर्गों का ठिकाना है। उम्र के आखिरी पड़ाव की पारी खेल रहे इन बुजुर्गों का दिन अब भजन-कीर्तन और ईश्वर के ध्यान में कट जाता है।

सुबह-शाम भोजन के साथ ही दो टाइम नाश्ता और गाने-बजाने के आइटम मिल जाते हैं। जिंदगी हंसी-खुशी कट रही है, मगर कुछ सालों तक ऐसा नहीं था।

की अपनी कहानी है। किसी का साथ घर वालों ने नहीं दिया, तो कोई जिंदगी के आखिरी वक्त में लावारिस हो चुका था।
भिलावां के 80 वर्षीय रामनारायण और इनकी 75 वर्षीय पत्नी मुलिया डेढ़ साल से वृद्धाश्रम में रहकर अपने जिंदगी के बाकी दिन काट रहे हैं।

रामनारायण बताते हैं कि दो पुत्र हैं। बाहर रहकर काम करते हैं। अपने-अपने परिवार को पाल-पोस रहे हैं।

जिंदगी भर मेहनत-मजदूरी करके परिवार को पालने-पोसने वाले रामनारायण बताते हैं कि जब से यहां आए हैं तब से खाने-पीने की चिंता से मुक्त हो गए हैं।

वृद्धावस्था पेंशन भी समय से मिल जाती है। जिससे छोटे-मोटे शौक पूरे होते रहते हैं। आश्रम में रहते हुए भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं।

कहते हैं कि इस महामारी में समाज के लिए कुछ करने का मन तो करता है, मगर अब हाथ-पैर जवाब दे चुके हैं।
शहर के नौबस्ता मोहल्ले के 75 वर्षीय रघुनाथ और 70 साल की उनकी पत्नी केसर भी अपनी जिंदगी का आखिरी वक्त आश्रम में काट रहे हैं। इनके आगे-पीछे कोई नहीं है। एक साल पूर्व दोनों आश्रम पहुंचे थे। जि

बाद से यही के होकर रह गए। रघुनाथ बताते हैं कि आंखें कमजोर हो गई थी, मगर यहां आकर दवा का इंतजाम हो गया। अब सब कुछ ठीक नजर आता है। जो दिन बचे हुए हैं, उसे यहीं पर काटेंगे।

42 वृद्धजन में दस दंपतियों का भी ठिकाना आश्रम
वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से संचालित होने वाले इस वृद्धाश्रम के एकाउंटेंट विनय मिश्रा बताते हैं कि आश्रम में इस वक्त कुल 42 वृद्धजन रह रहे हैं। इ

से दस दंपति हैं। सभी के खाने-पीने, मनोरंजन की व्यवस्था है। सुबह योगासान की क्लास लगती है। सभी वृद्धजनों को वृद्धावस्था पेंशन भी मिलती है।

तीन साल से आश्रम का संचालन हो रहा है। इस दौरान कुछ वृद्धजनों की .स्वाभाविक मौतें भी हुई। जिनका आश्रम ने ही धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार कराया।

किसी भी किस्म की दिक्कत होने पर तत्काल उसका निस्तारण कराया जाता है। कोविड-19 जैसी महामारी के बीच भी आश्रम का कोई भी वृद्ध इसकी चपेट में नहीं है। सभी की समय-समय पर जांच भी होती रहती है।

साढ़े 41 हजार लाभार्थियों को मिल रही पेंशन
जिला समाज कल्याण अधिकारी जागेश्वर ने बताया कि जिले के 41696 लाभार्थियों को प्रतिमाह 500 रुपए वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है।

आश्रम में रहने वालों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा है। योजना का लाभ पाने के लिए कोई भी 60 साल का लाभार्थी ऑन लाइन आवेदन कर सकता हैं।

इसके अलावा तहसीलों और ब्लाक से आने वाले आवेदनों को लखनऊ के लिए फारर्वड कर दिया जाता है। शहरी क्षेत्र के निवासियों की सालाना आय 56,460 और ग्रामीण इलाके के लाभार्थियों की वार्षिक आय 48400 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।

लाभार्थियों का चयन ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के माध्यम से और शहरी क्षेत्र में उपजिलाधिकारी के माध्यम से किया जाता है।

ग्राम पंचायत द्वारा प्रेषित प्रस्ताव खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय के माध्यम से जिला समाज कल्याण अधिकारी, कार्यालय को भेजा जाता है।

फोटो- वृद्धाश्रम में मौजूद वृद्ध दंपति। जो उम्र के आखिरी पड़ाव में इसी आश्रम को अपना अंतिम ठिकाना बना चुके हैं।

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