जाने कैसे करे मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-उपासना की जाती है। प्रजापति दक्ष के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री है। धार्मिक मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा श्रद्धापूर्वक करने से व्रती के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।

मां शैलपुत्री का स्वरूप

मां ममता का रुप हैं, जो भक्तों पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखती हैं। इनके मुखमंडल पर कांतिमय तेज प्रकाशित होता है, जिससे समस्त संसार में ममता फैल रही है। मां ने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल पुष्प धारण कर रखा है। मां की सवारी वृषभ है।

पूजा शुभ मुहूर्त

आज शुभ मुहूर्त दिनभर है। अत: व्रती किसी समय पर मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। प्रतिपदा तिथि दिन में 12 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 22 जून को 11 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी।

व्रत विधि

आज स्नान-ध्यान से निवृत होकर पवित्र धारण कर व्रत संकल्प लें। इसके लिए सबसे पहले आमचन करें। इसके पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत आदि से करें। मां को लाल पुष्प अति प्रिय है। अत: मां को लाल पुष्प जरूर भेंट करें। इससे व्रती सभी रोगों से मुक्त रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मां शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करने से घर में सुख-शांति और मंगल का आगमन होता है। माता शैलपुत्री का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

इसके पश्चात मां की आरती कर उनसे परिवार के मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। आप चाहें तो एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।

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