चीन ने फिर चली एक नई चाल, भारत के लिए बढ़ी मुश्किले

लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। इस माहौल में भारत की दवा कंपनियों के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल, बीते कुछ वक्त में दवा कंपनियों की चीन से आयात की लागत बढ़ गई है। चीन के सप्लायर्स ने सक्रिय दवा सामग्री के अलावा कुछ दवा की कीमतें बढ़ाई हैं।

कीमतों में करीब 20 फीसदी का इजाफा

इंडियन फार्मास्युटिकल्स अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन के मुताबिक कीमतों में करीब 20 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। जानकारों की मानें तो इसका असर दवा उद्योग पर पड़ने की उम्मीद है। हाल ही में चीन से आयात किया गया एक अन्य उत्पाद पैरासिटामोल है, जिसकी कीमतों में इजाफा हुआ है।

IPA की कीमत पर विचार की मांग

इस बीच, लॉरस लैब्स के सत्यनारायण चावला ने कहा कि चीन से आयातित आइसोप्रोपिल अल्कोहल (IPA) की कीमत पर विचार करें. इसमें 100 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। यह कीटाणुनाशक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि हम प्रति माह लगभग 500 से 600 टन IPA का उपयोग करते हैं. भारतीय फार्मा उद्योग प्रति माह लगभग 20,000 से 30,000 टन का उपयोग कर रहा है।

बता दें कि लॉरस लैब्स भारत के महत्वपूर्ण सक्रिय दवा सामग्री निर्माता फर्म है। यह लगभग 56 देशों में एंटी-रेट्रोवायरल, हेपेटाइटिस सी और ऑन्कोलॉजी जैसे क्षेत्रों पर दवा सामग्री बेचता है।

पैरा एमिनो फिनोल में भी इजाफा

वहीं चीन से आयात किया गया एक अन्य उत्पाद जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, वह है पैरा एमिनो फिनोल या पीएपी. ये उत्पाद पैरासिटामोल दवा बनाने में उपयोगी होती है। इसकी कीमतों में बढ़ोतरी पर ग्रैन्युल्स इंडिया के सीएमडी, कृष्णा प्रसाद चिगुरुपति कहते हैं, ” ये बढ़ोतरी करीब 27 फीसदी रही है और यह आंशिक रूप से है क्योंकि उनकी उत्पादन लागत बढ़ गई है। उन्होंने आगे कहा कि शायद इसलिए भी क्योंकि वे इस उत्पाद के लिए वैश्विक बाजार में मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं, इस तथ्य का लाभ उठा रहे।

 

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