कोरोना वायरस इनफ्लुएंजा वायरस की तरह संक्रमण फैलाता है: कोलंबिया यूनिवर्सिटी

कोरोना वायरस के प्रकोप से दुनिया को वाकिफ हुए कई महीने बीत चुके हैं। इस बीच इस वर्ष कोविड-19 वायरस को लेकर काफी शोध के बाद वैज्ञानिकों ने कई तथ्य सामने रखे।

मास्क के इस्तेमाल की जरूरत से लेकर अजीबोगरीब लक्षणों के बारे में भी बताया। लेकिन इन सबके बावजूद यह नया कोरोना वायरस अब भी एक अबूझ पहेली बना हुआ है। इसके बारे में कई वैज्ञानिक तथ्यों का अब तक खुलासा नहीं कर सके हैं। वैज्ञानिक कैसे और कब इन सवालों के हल ढूंढ़ते हैं, वह इस वायरस के साथ हमारा भविष्य तय करेगा।

वैज्ञानिक बताते हैं कि एक से एक लाख तक वायरस लोड बीमार करने के लिए काफी है, पर कोई वैज्ञानिक आंकड़ा नहीं दे पा रहा। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट एंजेला रासमुसेन कहती हैं कि इसे लेकर कोई पैमाना नहीं है, पर यह वायरस इनफ्लुएंजा वायरस की तरह संक्रमण फैलाता है। कई लोग बिना बीमार हुए भी इसका प्रसार करते हैं। लेकिन इसकी संरचना, चमगादड़ों से शुरुआत व अन्य लक्षणों को देखें, तो यह अन्य कोरोना वायरस के करीब है।

वहीं, वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विलियम शैफनर बताते हैं कि पहले संपर्क में ही वायरस का बड़ा डोज शरीर में आ जाए तो हालत तेजी से बिगड़ती है। अब तक संक्रमितों की सही संख्या का पता नहीं है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन सीडीसी के अनुसार 28 मई तक 19 लाख लोग पॉजिटिव थे। जबकि जॉन हापकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के अनुसार 17 लाख संक्रमित हैं।

डाटा विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या कहीं ज्यादा होनी चाहिए। न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू कूमो के अनुसार, 22 मई तक 20 फीसदी नागरिक चपेट में आ चुके हैं। डाटा विश्लेषकों के अनुसार, लॉकडाउन के पहले ही यहां 12 लाख संक्रमित हो चुके थे। सीडीसी के अनुसार 22 मई तक 35 फीसदी संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं थे।

हर महीने 2,10,000 साइलेंट स्प्रेडर या बीमारी फैलाने वाले बन रहे हैं। ऐसे में कितना भी व्यापक कांटेक्ट ट्रेसिंग प्रोग्राम चलाया जाए, असली संख्या ढूंढ़ पाना मुश्किल है।

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