भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर स्थिति सामान्य होने से पहले एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं
नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव (India-China standoff along LAC) जारी है। इसे सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन दोनों सेनाएं अपनी पोजिशन से पीछे हटने को तैयार नहीं है। चीन ने सीमा पर अपने सैनिकों के साथ-साथ हथियारों, टैंकों और आर्टिलरी गनों की भी तैनाती बढ़ाई है। इसके जबाव में भारत ने भी पूरा इंतजाम किया है।
सूत्रों के मुताबिक भारत ने लद्दाख सीमा पर चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पुख्ता तैयारी कर रखी है। शॉर्ट नोटिस पर टी-72, टी-90 टैंकों और बोफोर्स जैसी आर्टिलरी गनों को लद्दाख सीमा पर तैनात किया जा सकता है।
स्वीडन से हासिल बोफोर्स गनों ने करगिल युद्ध के दौरान अपनी उपयोगिता साबित की थी और पाकिस्तानी घुसपैठियों के छ्क्के छुड़ा दिए थे। इस तोप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह -3 से लेकर 70 डिग्री के ऊंचे कोण तक फायर कर सकती है। साथ ही वायुसेना के विमान भी लगातार चीन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।
भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख के गलवान और पैंगोंग सो इलाके में 5 मई से ही आमने-सामने डटी हैं। सूत्रों की माने तो चीन की सेना ने पैंगोग सो और फिंगर 5 इलाके में एलएसी से 100 मीटर पीछे अपने टेंट गाड़े हैं। गलवान में चीन की सेना पट्रोलिंग पॉइंट 14, 15 और 16 पर मौजूद है। हालांकि पट्रोलिंग पॉइंट 15 पर कुछ पीछे हटी है।
लेकिन जानकारों का कहना है कि चीनी सेना के पीछे हटने का मतलब यह नहीं है कि उसने इस मामले में अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। इस तनाव को खत्म करने के लिए दोनों सेनाओं के बीच अब तक 7 बार बैठक हो चुकी है।
चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और भारतीय सेना के बीच ब्रिगेडियर स्तर पर 4 और मेजर जनरल स्तर की 3 बार बात हो चुकी है लेकिन ये सभी बेनतीजा रहीं।
अब सारी नजरें 6 जून को होने वाली लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत पर टिकी है। इसमें सेना की 14वीं कोर के कमांडर और पीएलए के वेस्टर्न थिअटर के इसी रैंक के अधिकारी हिस्सा लेंगे।
भारतीय सेना साफ कर चुकी है कि जब तक स्थिति पहले जैसी नहीं हो जाती, वह एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि चीन के साथ सैन्य और कूटनीति दोनों स्तरों पर बातचीत चल रही है।
भारत और चीन के बीच यह विवाद लगभग एक महीने पहले शुरू हुआ था। चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसकर पैंगोंग सो और गलवान घाटी में कैंप बनाने शुरू कर दिए थे।
भारतीय सेना ने इसका कड़ा विरोध करते हुए चीनी सैनिकों से तुरंत पीछे हटने को कहा ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। लेकिन चीन ने ऐसा करने के बजाय अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी। इसके जवाब में भारत ने भी सीमा पर अतिरिक्त सैनिक भेज दिए।