आईसीएमआर की नयी गाइड लाइन से कोविड स्वास्थ्यकर्मियों में नाराजगी
लखनऊ (यूएनएस)। कोविड-19 प्रोटोकाल और आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार कोविड मरीजों की देखभाल कर रहे या कोविड वार्ड में उच्च जोखिम एक्सपोजर में कार्य कर रहे डाक्टर और मेडिकल कर्मियों को चौदह दिनों के लिये होटल में क्वारेंटीन किया जाता है। उसके पश्चात रिपोर्ट नेगेटिव आने पर पुनः चैदह दिनों के लिये होम क्वारेन्टाइन में रहना पड़ता है।
उ0प्र0 सरकार ने अपने संशोधित नये शासनादेश में कोविड-19 से लड़ रहे अपने डाक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा को एक तरफ ताक पर तो रख ही दिया है साथ ही उनके परिवारों को भी खतरे में डाल दिया है।
प्रमुख सचिव, अमित मोहन प्रसाद द्वारा सभी निदेशकों प्रमुख व मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों व सभी अस्पतालों को जारी शासनादेश में सीधे-सीधे कोविड के उच्च जोखिम एक्सपोजर क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को चैदह दिनों के लिये होटल में सुरक्षित सुविधापूर्ण क्वारेंटीन करने के बजाय अपने ही घर में क्वारेंटीन करने का आदेश दिया गया है। इससे डाक्टरों, नर्सों और अन्य मेडिकल कर्मियों में काफी नाराजगी है।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुये कोविड वार्ड में तैनात एक चिकित्सक ने कहा कि सरकार हमारी जान दाॅव पर लगा रही है। बारहवे दिन स्वास्थ्यकर्मी की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसे होटल के बजाय अपने ही घर में परिवार के साथ क्वारेंटीन में रहने का आदेश सरासर गलत है।
क्या कोरोना के लक्षण तेरहवें या चौदहवे दिन नहीं आ सकते है? क्या सरकार कोई गारंटी दे सकती है? इससे हमारा परिवार ही खतरे में आ जायेगा।
उन्होनें बाराबंकी के वुहान बननें का उदाहरण देते हुये कहा कि मजदूरों को किसी स्कूल या अस्पताल में क्वारेंटीन करने के बजाय घरों में ही क्वारेंटीन करने को आदेश जिला प्रशासन ने दिया था। परन्तु पूरे के पूरे परिवार के सदस्य ही कोरोना संक्रमित हो गयें। क्या इससे सरकार सबक नहीं ले रही है?
एक तरफ सरकार ताली-थाली बजवाती है, हेलीकाप्टर से फूल बरसाती है तो दूसरी तरफ उन्ही स्वास्थ्यकर्मियों की जान और उनके परिवारों की जान को खतरे में डाल रही है।