श्रम और ईर्ष्याहीन प्रवत्ति से जीवन होगा खुशहाल
न्याय के देवता शनि हमारे सम्पूर्ण कर्मो का लेखा-जोखा अपने साथ रखते हैं। शनि का श्यामल जैसा रंग-रूप और कठोर व्यवहार देखते ही मन भय से भर जाता है कि कहीं शनि महाराज हमसे रुष्ठ ना हो जाए क्योंकि शनि महाराज सभी मनुष्यों को उसके कर्मों के अनुसार दण्डित और पुरस्कृत करते हैं।
शनि देव सभी के साथ न्याय करते है पर जो व्यक्ति अनुचित कार्य करते हैं, शनि उनको दंडित भी करते हैं। आइए जानते है वो कौन से कार्य हैं जो भगवान शनि के प्रकोप से हम मनुष्यों को बचा पाते हैं।
शनि महाराज और परिश्रमी व्यक्ति का परस्पर गहरा सम्बन्ध है। जब कोई मनुष्य श्रम पर ध्यान केन्द्रित करता है और खुद को सदैव स्पष्ट रखता है तो शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं और उसके श्रम के अनुसार उसका भाग्य बनाते है।
मनुष्य अधिक मेहनत करने पर पसीने से श्याम वर्ण का लगने लगता है। शनि भी श्याम वर्ण के है और सोच-समझ कर धीमी गति से कार्य करते हैं इसीलिए शनि देव का जीवन त्रुटि रहित जीवन जीने को प्रेरित करते हैं।
शनि सूर्यपुत्र और मृत्यु के स्वामी यम के अग्रज हैं। सूर्य के द्वारा तिरस्कार मिलने पर शनि भावना और मन के विपरीत कार्य करते हैं इसलिए न्याय के राजा भी हैं क्योंकि न्यायाधीश को किसी भी तरह की भावनाओं में बहकर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता। इनका श्याम वर्ण भी इसी बात को सिद्ध करता है कि शनि पर किसी भी रंग का प्रभाव नहीं पड़ता।
शनि देव सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया अर्थात प्रतिबिम्ब के पुत्र हैं। हमारा चरित्र भी छाया की भांति हमेशा हमारे साथ ही रहता है इसलिए शनि देव नेक और छल-कपट से दूर बंदो के साथ हमेशा न्याय करते हैं।
प्रतियोगिता के इस दौर में शनि देव की शिक्षा हमें जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। आज व्यक्ति के जीवन में सफल होने के बाद भी कोई आंतरिक खुशी नही है क्योंकि सफलता और प्रसिद्धि के लिये अपनाए गए लघुपथ तरीकों से किसी अन्य का अहित भी हो जाता है और यहीं से मनुष्य शनि के न्याय क्षेत्र में प्रवेश करता है इसलिए हमें सफलता के साथ-साथ मानवीय गुणों का भी ध्यान रखना चाहिए तभी मनुष्य जीवन में सुख-शांति से रह पाता है।