दुबई से लौटे दंपती सैंपल देने से इन्कार कर भागे देहरादून मेडिकल कॉलेज से
सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद कुछ लोग कोरोना का टेस्ट कराने से परहेज कर रहे हैं। देहरादून जिले के विकासनगर में एक ऐसा ही मामला सामने आया। दुबई से लौटे इस व्यक्ति को चिकित्सक ने दून मेडिकल कॉलेज रेफर कर कोरोना टेस्ट की सलाह दी तो वह घर चला गया। इस पर पुलिस के पहरे में उसे एंबुलेंस से दून मेडिकल कॉलेज भेजा गया, लेकिन यहां भी सैंपल देने से इन्कार करते हुए दंपती भाग निकला। देर रात दंपती अपने डाकपत्थर स्थित घर पहुंच गया। इसकी सूचना जब स्वास्थ्य विभाग को मिली तो उन्होंने टीम को घर भेज दिया। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद दंपती को पुलिस की मौजूदगी में एंबुलेंस के जरिये दून भेज दिया गया।
बताया गया कि उन्हें दून अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उधर, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी ने इस पूरे मामले में जांच बैठा दी है। विकासनगर स्थित चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. केके शर्मा ने बताया कि सुबह एक व्यक्ति उनके पास आया। उसे खांसी, जुकाम और बुखार की शिकायत थी। व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ पांच मार्च को दुबई से लौटा है। दुबई में उसका बेटा रहता है।
चिकित्सक के अनुसार इस पर उसे कोरोना के टेस्ट के लिए दून मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। व्यक्ति को कुछ देर बाहर बैठने के लिए कहा गया। इस बीच एंबुलेंस के कर्मचारी उसे देहरादून ले जाने के लिए तलाशते हुए पहुंचे तो वह नहीं मिला। इससे अस्पताल में हड़कंप मच गया। पुलिस को सूचित किया गया।
बाद में पुलिस एंबुलेंस के साथ उसके घर गई और पति-पत्नी को देहरादून पहुंचाया। हालांकि उनकी पत्नी को कोई समस्या नहीं है। दूसरी ओर शाम को दंपती को मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। अस्पताल के उप चिकित्साधीक्षक डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि दोनों को सैंपल देने और आइसोलेशन में भर्ती होने के लिए कहा गया। दोनों ने इससे साफ इन्कार कर दिया। इस बीच स्टाफ उन्हें भर्ती करने की औपचारिकता पूरी कर ही रहा कि दोनों वहां से लापता हो गए। उन्होंने बताया कि पुलिस को सूचना दे दी गई है। डॉक्टर के अनुसार दंपती एंबुलेंस से नीचे तक उतरने को तैयार नहीं था।
उधर, रात होते-होते इस मामले में नया मोड़ आ गया। साथ ही मामला संदिग्ध हो गया। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी के अनुसार दिन में उन्हें 108 वाले का फोन आया था। जिसका कहना था कि वह दंपती को लेकर दून अस्पताल पहुंचा है। पर चिकित्सक उन्हें भर्ती नहीं कर रहे। पर अस्पताल प्रशासन ने इनके द्वारा सैंपल न देने और भर्ती होने से मना करने की बात कही है। उक्त दोनों ही बातों में विरोधाभास है। ऐसे में डॉ. खत्री से मामले की जांच कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है और किसी की भी लापरवाही सामने आती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
हरिद्वार में भी आया मामला
यह अकेला मामला नहीं है। सोमवार को रुड़की सिविल अस्पताल से भी एक व्यक्ति बिना बताए घर चला गया। यह व्यक्ति भी संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था। कोरोना जैसे लक्षण मिलने पर उसे हरिद्वार जिला अस्पताल रेफर किया गया था। बाद में स्वास्थ्य विभाग की टीम उसके घर भेजी गई और उसे जिला अस्पताल पहुंचाया गया।
जर्मनी से लौटा छात्र आइसोलेशन में भर्ती
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जर्मनी से लौटे एक छात्र को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हरिद्वार जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया है। रुड़की स्थित सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. संजय कंसल ने बताया कि यह छात्र में रुड़की के एक कॉलेज में है। वह आठ मार्च को जर्मनी से लौटा था। उसके सैंपल लेकर दिल्ली भेजे गए हैं।
मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला यह छात्र यहां किराये पर रहता है। डॉ. कंसल ने बताया कि छात्र को एहतियात के तौर पर 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा गया है। इसके अलावा हरिद्वार के पास लालढांग क्षेत्र में रहने वाली एक महिला को भी जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है। यह महिला पिछले दिनों सऊदी अरब से लौटी थी। हालांकि उसमें कोरोना के लक्षण नहीं हैं।
कोरोना के संदिग्धों के भागने पर पुलिस अलर्ट
कोरोना के संदिग्ध मरीजों के अस्पताल से भागने की घटनाओं ने प्रशासन से लेकर अस्पताल और पुलिस की सतर्कता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गंभीर तो यह यदि यह संदिग्ध वास्तव में कोरोना संक्रमित हैं तो अब उनके संपर्क में आने वाले तमाम स्वस्थ लोगों के भी महामारी की जद में आने का खतरा बढ़ जाएगा।
कोरोना का प्रकोप बढऩे से अब तक ऋषिकेश, रुड़की और अब देहरादून में संदिग्ध मरीज के भागने की तीसरी घटना ने सनसनी बढ़ा दी है। दरअसल, मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक कोरोना संदिग्ध को लेकर दून मेडिकल पहुंचे। यहां उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था।
स्वास्थ्य कर्मी इधर-उधर हुए, तभी वह सबकी नजरों से बचकर अस्पताल से भाग गया। ऐसे में सवाल यह है कि संदिग्ध मरीजों की सुरक्षा के साथ उन लोगों की सुरक्षा का क्या होगा, जो अभी तक संक्रमण की गिरफ्त में नहीं आए हैं। यदि ऐसे ही चला तो आने वाले दिनों कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ेगी और तब सरकार के लिए हालात को काबू कर पाना बेहद मुश्किल होगा।
पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि इन मामलों को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। पुलिस को तमाम सुरक्षा उपायों के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ लगाने पर विमर्श चल रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।