पांच सालों में 19 दिव्यांगों को उतारा मौत के घाट, अपराधी को मिली सजा-ए-मौत
हाल ही में जो अपराध का नया मामला सामने आया है वह जापान का है जहाँ एक क्रूर अपराधी को सजा-ए-मौत सुना दी गई है. इस मामले में 30 साल के नशेड़ी युवक सातोशी युमात्सु ने साल 2016 में चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर 19 दिव्यांगों को मौत दे दी थी. खबर मिली है कि युमात्सु ने कोर्ट में अपना अपराध मान लिया है और उसने बताया कि उसने मानसिक रोगियों के एक केयर सेंटर में कई लोगों पर चाकू से वार किए थे.
वहीं इस घटना को जापान के इतिहास में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बुरे हत्याकांडों में से एक कहा जा रहा है. आप सभी को बता दें कि सातोशी युमात्सु ने अपने बयान में कहा कि, ‘वो इस हमले में सभी विकलांगों को मौत के घाट उतारना चाहता था.’ केवल इतना ही नहीं वारदात के बाद सातोशी ने खून से सना चाकू लेकर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया था. वहीं इस मामले की जांच में पता चला कि उसने कुछ महीने पहले ही केयर होम की नौकरी छोड़ दी थी और इस नरसंहार के पीछे उसका मकसद था कि ‘विकलांग लोग सिर्फ और सिर्फ मुसीबत और दुख पैदा करते हैं.’
उसका सोचना था कि ऐसा करके वो इस मुसीबत से हर किसी को छुटकारा दे पाएगा. वहीं आरोपी ने 26 लोगों को चाकू से घायल किया गया था. इस मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, ‘युमात्सु किसी भी तरह की दया का पात्र नहीं है.’ वहीं इस मामले में फैसला सुनाने वाले मुख्य न्यायाधीश कियोशी आनुमा ने कहा, ‘आरोपी ने कभी भी इस दिल दहला देने वाली हिंसा में अपना हाथ होने की बात से इनकार नहीं किया. ना ही उसे अपने किए पर कोई पछतावा था, लेकिन उनके वकीलों ने उसके दोषी नहीं होने की दलील दी.’ वहीं कोर्ट में बचाव पक्ष ने अपनी दलील में कहा कि, ‘सातोशी युमात्सु मारिजुआना के इस्तेमाल से मानसिक विकार का शिकार हो गया था.’ केवल इतना ही नहीं अभियोजकों ने सातोशी के लिए मौत की सजा मांगी थी. इस मामले में युमात्सु को फांसी की सजा सुनाते हुए जज कियोशी औनुमा ने कहा, ”इस अपराध को जान-बूझकर अंजाम दिया गया था और हत्या करने के इरादे का अदालत के पास पुख्ता सबूत हैं.”