25 मार्च से शुरुआत हो रही है चैत्र नवरात्रि की, इस नवरात्रि में माँ के इन मंदिरों के करे दर्शन
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत 25 मार्च से हो रही है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नौ दिनों में पूरे विधि-विधान के साथ मां की पूजा अर्चना करने और व्रत रखने से सौभाग्य, यश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के दौरान मंदिरों में भी मां के दर्शन करने के लिए भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. हमारे देश में देवी के कुछ ऐसे मंदिर हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं. यहां मां की जोर शोर से पूजा अर्चना की जाती है. आइए आज आपको बताते हैं देश में मां के ऐसे ही 5 प्रमुख मंदिरों के बारे में, आप चाहें तो इस नवरात्रि मां के इन रूपों के दर्शन कर सकते हैं….
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Kamakhya Temple)
कामाख्या मंदिर को 51 शक्तिपीठों में काफी अहम माना जाता है. इस मंदिर में कामाख्या देवी की पूजा होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस जगह पर मां सती की योनी गिरी थी तभी से यहां पर मंदिर का निर्माण हुआ. मंदिर को लेकर एक अन्य धारणा प्रचलित है. मान्यता है कि जब देवी रजस्वला (periods) होती हैं तब मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान मंदिर में सफेद कपड़ा बिछाया जाता है लेकिन जब तीन दिन बाद मंदिर का दरवाजा खोला जाता है, तब यह कपड़ा लाल रंग का हो जाता है. भक्तों को प्रसाद के तौर पर यही कपड़ा दिया जाता है. यह मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है.
ज्वाला जी मंदिर (Maa Jwala Ji Temple):
ज्वाला देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है. इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि इसमें कई सालों से अखंड ज्योति जल रही है. यहां पर 9 देवियों के नाम पर 9 अलग-अलग ज्योतियां जल रही हैं. यहां महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजीदेवी के नाम की ज्योति प्रज्वलित हो रही है. स्थानीय लोग ज्वाला जी के मंदिर को जोता वाली माता और नगरकोट कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव आकाश मार्ग से देवी सती का शव ले जा रहे थे तब उनकी जीभ यहां गिरी थी. तभी से इस जगह पर ज्वाला जी मंदिर का निर्माण हुआ.
अम्बाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात (Ambaji Temple)
अम्बाजी मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में से एक है. अम्बाजी मंदिर गुजरात के बनासकांठा में है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस जगह पर देवी सती का ह्रदय गिरा था. इसके बाद से ही यहां पर मंदिर का निर्माण हुआ. इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि यहां मां की कोई भी मूर्ति नहीं है बल्कि यहां मां के प्रतीक चिन्ह के रूप में चक्र है. भक्त मंदिर में मां के चक्र की ही पूजा अर्चना करते हैं.
नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple)
नैना देवी मंदिर को भी 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जहां पर आज मंदिर स्थित हैं वहां देवी सती के नेत्र गिरे थे. इस मंदिर में मां मूर्ति रूप में नहीं बल्कि नैन (आंखों) के रूप में विराजमान हैं. यहां देवी सती के शक्ति रूप की आराधना होती है. यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित है.
पाटन देवी (Devi Patan Temple)
पाटन देवी मंदिर भी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में स्थित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस जगह देवी सती का कंधा गिरा था. स्थानीय लोग इस मंदिर को पातालेश्वरी देवी का मंदिर भी कहते हैं. इसके पीछे यह धारणा है कि यहां पर ही मां सीता धरती की गोद यानी कि पाताल लोक में समा गई थीं. इस मंदिर में भी देवी प्रतिमा रूप में विराजमान नहीं हैं बल्कि यहां चांदी का एक चबूतरा बना हुआ है जिसके नीचे से एक ढकी हुई गुफा सुरंग के रूप में है.