चीन को निर्यात के क्षेत्र में पीछे छोड़ेगा भारत, भारत बनेगा चीन का विकल्प
Coronavirus यानी COVID-19 ने जहां विश्व समुदाय को आशंकित-आतंकित कर दिया है, वहीं भारत इसके नकारात्मक असर में भी एक अवसर तलाश रहा है। विश्व निर्यात के पांच क्षेत्रों में भारत चीन का विकल्प बनने की तैयारी में जुट गया है। इस अवसर को भुनाने के लिए गुरुवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सभी साझेदारों की बैठक बुलाई है। बैठक में एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के साथ औद्योगिक संगठन के प्रतिनिधि होंगे।
वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्टिकल आइटम, व्हीकल्स, ऑर्गेनिक केमिकल्स, अपैरल व क्लोदिंग एसेसरीज एवं लेदर जैसे क्षेत्रों में भारत विश्व निर्यात बाजार में चीन का प्रतिद्वंद्वी देश है। अभी चीन निर्यात करने में सक्षम नहीं है। चीन की इसी अक्षमता का भारत फायदा उठाना चाह रहा है। इन पांच क्षेत्रों के अलावा झींगा, मिनरल ऑयल, कॉटन फाइबर्स, यार्न और कॉपर जैसे क्षेत्रों में भी नए निर्यात बाजार की तलाश की जा रही है। होमवेयर, लाइफस्टाइल गुड्स, सेरामिक टाइल्स जैसे क्षेत्रों में भी दुनिया के बाजार को भारत से सप्लाई मिलने की उम्मीद है।
वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को प्रस्तावित बैठक में उन आइटम के वैकल्पिक बाजारों की तलाश पर भी विचार किया जाएगा जिनके लिए भारत चीन पर काफी हद तक निर्भर है। इनमें मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्टिकल कंपोनेंट्स, ऑटो कंपोनेंट्स और दवा बनाने के लिए जरूरी कच्चा माल (एपीआइ) शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक वैश्विक सप्लाई चेन में चीन से पैदा हुई रिक्तता को भरने के लिए सिर्फ व्यावहारिक कदम उठाए जाएंगे। इसकी वजह यह है कि चीन में 90 फीसद बड़ी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। हालांकि, 60 फीसद प्रवासी श्रमिक अभी चीन में काम पर वापस नहीं आए हैं। चीन सरकार ने मार्च के अंत तक 80 फीसद उत्पादन को दोबारा शुरू करने का लक्ष्य रखा है।
वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक चीन के जियांग्सू स्थित फार्मा इंडस्ट्री ने काम शुरू कर दिया है। भारत ने वर्ष 2019 में दवा निर्माण के लिए 1.8 अरब डॉलर (करीब 12,600 करोड़ रुपये) के कच्चे माल का आयात जियांग्सू से किया था।
ऑटो के उत्पादन पर विपरीत असर
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल्स मैन्यूफैक्चर्स (सियाम) के अध्यक्ष राजन वढ़ेरा ने कहा है कि चीन से सप्लाई चेन प्रभावित होने से बीएस-6 के यात्री वाहन, कॉमर्शियल वाहन, इलेक्टिक वाहन के उत्पादन पर विपरीत असर होगा। इससे बीएस-6 वाहनों की सप्लाई प्रभावित होगी। भारत हर साल 4.7 अरब डॉलर (करीब 33,000 करोड़ रुपये) का ऑटो कंपोनेंट भी चीन से आयात करता है जो ऑटो कंपोनेंट के कुल आयात का 27 फीसद है।