सभी व्रतों में एकादशी के व्रत सबसे उत्तम माना जाता है, इसका है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त
सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को सबसे उत्तम माना गया है. इस बार 6 मार्च को एकादशी का व्रत है. इस बार की एकादशी आमलकी एकादशी है. जिसका विशेष महत्व होता है. इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते है इस एकादशी के महत्व के बारे में…
पौराणिक महत्व
आमलकी एकादशी होली से ठीक चार दिन पहले पड़ रही है. होलाष्टक के दौरान पड़ने वाली इस एकादशी को पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. आमलकी एकादशी को लेकर मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत को एक हजार गाय दान करने के बराबर माना गया है. जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है.
पंचांग के अनुसार तिथि और शुभ मुहूर्त
- 6 मार्च 2020: आमलकी एकादशी
- एकादशी प्रारंभ: 5 मार्च को दोपहर 1:18 मिनट से
- एकादशी तिथि समाप्त: 6 मार्च को प्रात: 11: 47 मिनट तक
- पारण का समय: 7 मार्च को प्रात: 6: 40 मिनट से 9: 1 मिनट तक
आमलकी एकादशी से जुड़ी कथा
आमलकी का अर्थ आंवला होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने जब सृष्टि की रचना की जिम्मेदारी भगवान ब्रह्मा को सौंपी तो उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को भी उत्पन्न किया. आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है. इसीलिए आंवले के वृक्ष में ईश्वर का स्थान माना गया. इसीलिए इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का स्थान माना जाता है.
पूजा विधि
- संकल्प लेकर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
- भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए.
- पूजा पूर्ण करने के बाद दान करना चाहिए.