सुप्रीम कोर्ट में उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत नजरबंदी के निर्णय को सरकार ने ठहराया सही
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार ने पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंदी के निर्णय को सही ठहराया है. प्रशासन ने हलफनामा देकर कहा है कि उमर अब्दुल्ला अब भी लोक व्यवस्था के लिए खतरा बने हुए हैं.जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने उमर की नजरबंदी को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पांच मार्च, गुरुवार को सुनवाई की तारीख तय कर दी.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पीठ के समक्ष श्रीनगर के जिला उपायुक्त (डीसी) द्वारा दिए गए इस हलफनामे में उमर की नजरबंदी को सही बताया गया है. जिला उपायुक्त ने कहा कि 24 फरवरी को एडवाइजरी बोर्ड ने भी इसे सही बताया है. हलफनामे में उमर द्वारा एडवाइजरी बोर्ड के पास अपनी बातें न रखने के अलावा हाईकोर्ट का दरवाजा न खटखटाने पर भी सवाल उठाए गए हैं.
इस मामले को लेकर प्रशासन ने हलफनामे में कहा कि उमर अनुच्छेद 370 को लेकर हमेशा भड़काऊ बयान देते रहे हैं. पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को खत्म करने से पहले भी उमर इसे लेकर काफी मुखर थे.अभी उनको रिहा करने से माहौल खराब हो सकता है. हलफनामे में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की भौगोलिक नजदीकियां होने के कारण लोक व्यवस्था पर लगातार परीक्षण की दरकार है.