स्वतंत्रता संग्राम की विरासत नई पीढ़ी के बीच ले जाने की ज़रूरत,उम्मीद अभी ज़िन्दा हैं पुस्तक का लोकार्पण

संसदीय लोकतंत्र , बालिग़ मताधिकार , सर्व धर्म भाव , न्याय , स्वतंत्रता , समानता , बंधुत्व , क़ानून का राज और अन्याय को बर्दाश्त न करना हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत हैं . भारत आज इस जिस संकट के दौर से गुजर रहा है , उससे उबरने में स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्श और जीवन मूल्य ही हमारा संबल हो सकते हैं . यह निचोड़ है आज प्रेस क्लब में हुई गोष्ठी का जिसका विषय था , “ स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत “ इस अवसर पर वयोवृद्ध समाजवादी नेता सग़ीर अहमद की पुस्तक “उम्मी अभी ज़िन्दा है “ का लोकार्पण भी हुआ .
विचार गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह कार्यक्रम का आयोजन रफी अहमद किदवई मांटेसरी मेमोरियल ट्रस्ट, लखनऊ एवं मौलाना अबुल कलाम आजाद एकेडमी, लखनऊ के तत्वावधान में किया गया।

सैयद सगीर अहमद ने कहा आज की नस्ल को नसीहत देना है कि आपस में व्यवहार अच्छा रखें। सैयद सगीर अहमद ने कहा कि दिल्ली के हालात में भी उम्मीद की किरणें दिखती हैं क्योंकि वहां पर दोनों वर्गों के लोगों ने एक दूसरे की मदद की है इसके लिए बधाई देता हूं।रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ईश्वर चंद द्विवेदी ने कहा कि हमें सत्य आयोग का गठन करना चाहिए ताकि लोग अपने-अपने तर्क और सबूत प्रस्तुत कर सकें और उस पर होने वाले विवाद समाप्त हो सके, जैसा दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला ने किया था।

लखनऊ मांटेसरी इंटर कॉलेज के ट्रस्टी एवं अध्यक्ष नवीन चंद तिवारी ने कहा कि गांधीजी व अन्य महापुरुषों के विचारों को पढ़ना चाहिए। सेक्युलर तो राज्य होता है कोई व्यक्ति विशेष नही। उन्होंने कहा कि विचार, दर्शन के साथ आचरण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

मौलाना अबुल कलाम आजाद एकेडमी के महासचिव डॉ हाशमी ने कहा कि देश की आजादी में सभी लोगों ने कुर्बानी दी थी और इस भाईचारे की विरासत को संजो कर ले चलना चाहिए, वरना उन महापुरुषों की कुर्बानी व्यर्थ हो जाएगी।’

अभी उम्मीद जिंदा है’ किताब के संपादक धीरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि आजादी के समय का मिशन तो पूरा हो गया, लेकिन हमें अपने अंदर अपनी-अपनी उम्मीदें जागृत रखनी चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में कई रोल मॉडल भी हमें मिले थे, उन सभी ने त्याग किया था किंतु आज उसका अभाव दिखता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र व वयस्क मताधिकार सबसे बड़ी विरासत रही है।
वरिष्ठ पत्रकार त्रिपाठी ने कहा कि सवाल पूछना भी हमारी विरासत है। हम यमराज से भी सवाल पूछते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंद स्वराज में सवाल व जवाब के रूप में दर्शन और जानकारी दी गई है।

कम्युनिस्ट नेता अतुल अंजान ने कहा कि हम एक धर्म आधारित राज्य की ओर बढ़ रहे हैं। हमें बताना चाहिए की 1937 में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कोलकाता में सरकार बनाई थी।

गांधी ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कहा कि गांधी जी ने जिस तरह से अंग्रेजों को बाहर निकाला उसी तरीके से आज हमें फिर से संघर्ष करने की जरूरत है आपसी भाईचारा बनाए रखना है।

पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि सर्वधर्म समभाव की रक्षा के लिए सभी को बाहर निकलना होगा।

जस्टिस वीडी नकवी ने कहा कि हिंदू मुस्लिम को मिलकर होली और ईद मनाना चाहिए तभी हमारी साझी पहचान बनी रहेगी।

गोरखपुर से आए सरदार देवेंद्र सिंह ने कहा कि पहले नेता ऐसे होते थे जिनका कोई बड़ा व्यापार या दुकान नहीं होता था इसलिए उनके पास खोने का डर नहीं रहता था अब तो सब व्यापारी हो गए हैं।
इसी तरह, वाराणसी से आये सलमान बशर ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र है यही सबसे बड़ी विरासत है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुरेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि अन्याय व अत्याचार के खिलाफ लड़ने की गांधीजी की विरासत कहां गई, आज उसकी बहुत जरूरत है।
अन्य वक्ताओं में प्रो खान मोहम्मद आतिफ़ , साहित्यकार सलमान बशर , प्रो मसूदुल हसन , अमीर हैदर और रिटायर्ड आईएएस विनोद शंकर चौबे प्रमुख थे .
दिल्ली से आये रिज़वान रजा ने श्री सग़ीर अहमद को दुशाला ओढ़ाकर सम्मानित किया .
कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट के सचिव जयप्रकाश जी ने सभी का धन्यवाद दिया और कहा कि हमारी साझी विरासत जिंदा रहे इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

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