दिल्‍ली की हिंसा पर सोनिया गांधी बोलीं, मौजूदा हालत चिंताजनक, गृहमंत्री दें इस्‍तीफा

कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्‍ली की हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्‍मेदार ठहराते हुए गृहमंत्री अमित शाह से इस्‍तीफे की मांग की है। सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्‍ली पुलिस मूक दर्शक बनकर हिंसा को होते हुए देखती रही। आखिर, जब हिंसा हो रही थी, तब प्रधानमंत्री कहां थे? उन्‍होंने कहा कि हिंसा के पीछे एक साजिश है, देश ने दिल्ली चुनाव के दौरान भी यह देखा था। कई भाजपा नेताओं ने नफरत का माहौल बनाते हुए भड़काऊ टिप्पणियां की थीं। सोनिया गांधी ने बताया कि कांग्रेस कमिटी वर्किंग आपात बैठक हुई, जिसमें दिल्‍ली हिंसा पर गंभीरता से विचार किया गया।

सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्ली के हालात इन दिनों बेहद चिंताजनक है। पिछले 72 घंटों में 20 ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। दिल्ली पुलिस पिछले 72 घंटों में पंगु बनी हुई है। मरने वालों में एक हेड कांस्टेबल भी शामिल है और सैकड़ों लोग अस्पताल में हैं। इनमें से कई लोग गोलीबारी में घायल हुए हैं। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की सड़कों पर हिंसा जारी है। दिल्ली की वर्तमान स्थिति के लिए केंद्र और केंद्रीय गृहमंत्री जिम्मेदार हैं। गृहमंत्री अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।

कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार के नेताओं को आगे आना चाहिए था वाजपेयी सरकार का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि उस दौरान भी मैं एलओपी थी, जब भी कोई दिक्कत होती तो वह खुद ही सभी दलों के नेताओं से बात करते थे। हालांकि, ये बेहद दुखद है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस तरह की कोई बैठक नहीं होती। अभी अमित शाह ने तीन दिन बाद दिल्ली के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई। ऐसी स्थिति में ऐसा नहीं होना चाहिए था।

सोनिया ने केंद्र से पूछे ये तीखे सवाल

-सोनिया गांधी ने पूछा, दिल्‍ली में इतनी हिंसा होने के बावजूद अर्धसैनिकबलों को क्यों नहीं बुलाया गया?

-भड़काऊ भाषण देने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

-गृहमंत्री अमित शाह बताएं कि वह रविवार से कहां थे और क्या कर रहे थे?

कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस को एक मार्च आयोजित करना था और आज राष्ट्रपति को एक ज्ञापन देना था, लेकिन उन्होंने जानकारी दी कि वह अनुपलब्ध है और कल हमें उसने मिले समय दिया गया है। उनके सम्मान में हमने कल के लिए मार्च स्थगित कर दिया है।

इससे पहले कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उन लोगों को मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई, जिनकी दिल्‍ली में हुई हिंसा के दौरान मौत हुई है। राष्ट्रीय राजधानी में सीएए समर्थक और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच भड़की हिंसा पर चर्चा के लिए आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ राजधानी के मौजूदा हालात पर चर्चा की है। कार्यसमिति की बैठक में राजधानी की स्थिति और इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार के कदमों पर चर्चा की।

मंगलवार को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए शांति एवं भाईचारा सुनिश्चित करने के लिए आगे आने की अपील की है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह गांधी, नेहरू, पटेल का भारत है। क्या कोई भी भारतीय बिना सोचे समझे की गई इस हिंसा को स्वीकार कर सकता है? कांग्रेस दिल्ली के लोगों से अपील करती है कि वे सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखें और देश को धर्म के आधार पर बांटने के सभी प्रयासों को विफल करें।’ उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लगातार तीसरे दिन जारी हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में जारी हिंसा, पथराव और हत्या की घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है।

सुरजेवाला ने कहा, ‘हम इन दंगों की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि दोषियों की पहचान की जाए और वास्तविक दोषियों और शरारती तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।’ दूसरी तरफ, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने दिल्ली हिंसा के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों को असंवेदनशील और अदूरदर्शी नेताओं को सत्ता में लाने की कीमत चुकानी पड़ रही है।

चिदंबरम ने ट्वीट किया कि दिल्ली में हुई हिंसा और जानमाल का नुकसान सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। हमने चेतावनी दी थी कि सीएए गहरा विभाजनकारी है। इसे निरस्त कर देना चाहिए या छोड़ दिया जाना चाहिए। लेकिन, किसी ने हमारी बात नहीं सुनी।

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