इस तरह IRCTC का फर्जी खाता खोलकर मैनेजर को लगाया 99 हजार का चूना

ग्रेटर नोएडा की ऐशटैग जोन-4 हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले मार्केटिंग मैनेजर और उनकी पत्नी के खाते से ठगों ने 98,800 रुपये साफ कर दिए। इस रकम को भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के खाते में भेजा गया था।  आईआरसीटीसी की तरफ से उन्हें बताया गया कि ऐसा कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है। पुलिस को शक है कि किसी ने आईआरसीटीसी के नाम से फर्जी खाता खोल रखा है।

ऐशटैग जोन-4 सोसाइटी में रहने वाले महेश चंद वाजपेयी ने बताया कि वह कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनका और पत्नी प्रीति वाजेपयी का निजी बैंक में संयुक्त खाता है। 25 जनवरी की सुबह उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया। मैसेज खोलकर देखा तो उनके खाते से 98,800 रुपये निकाले जा चुके थे। इन रुपये को भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम के खाते में भेजा गया था।

उन्होंने इस बात का पता लगने पर तत्काल बैक से संपर्क किया। इसके बाद उन्होंने अपने खाते का पिन भी बदल दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने आईआरसीटीसी के माध्यम से न तो कोई टिकट बुक किया था और न ही ऐसा कोई काम किया, जिससे आईआरसीटीसी के खाते में पैसा पहुंचे। उन्होंने इस बात की सूचना सूरजपुर कोतवाली में दी है। सूरजपुर के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि तहरीर के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। जल्दी शातिर ठगों को गिरफ्तार किया जाएगा। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि आईआरसीटीसी के खाते में रुपये कैसे पहुंचे। पुलिस का कहना है कि यह भी हो सकता है कि किसी ने आईआरसीटीसी के नाम पर फर्जी खाता खेल रखा हो।

पुलिस ने आईआरसीटीसी को ई-मेल किया : इंस्पेक्टर ने बताया कि प्रकरण में जांच शुरू कर दी है। हमने सबसे पहले आईआरसीटीसी को ई-मेल भेजा है। उनसे पूछा है कि क्या उनके खाते में पैसा आया है। वहीं, बैंक से पूछा गया है कि यह पैसा किस गेट-वे और खाते में पहुंचा है। उस खाते की बैंक ब्रांच और लोकेशन का पता लगाया जा रहा है। 

कार्ड क्लोनिंग का अंदेशा : साइबर एक्सपर्ट इंस्पेक्टर कर्मवीर सिंह का कहना है कि प्राथमिक तौर पर यह कार्ड क्लोनिंग का मामला लगता है। पीड़ित ने ठगी से पहले डेबिट कार्ड के माध्यम से शॉपिंग या अन्य भुगतान किया होगा। इसी दौरान ठगों ने स्कीमर डिवाइस से उनके कार्ड का गोपनीय डाटा चोरी कर लिया होगा।

हैरत : ओटीपी या पिन साझा नहीं किया

महेश चंद वाजपेयी ने बताया कि उन्हें कोई फोन कॉल नहीं आई थी। उन्होंने किसी को अपने बैंक खाते का पिन, पासवर्ड या मोबाइल पर आया ओटीपी नहीं बताया है। इसके बावजूद उनके खाते से पैसे निकाल लिए गए हैं। महेश चंद वाजपेयी ने इस मामले में बैंक से भी शिकायत की है।

हालात : एक महीने में ठगी के 250 से ज्यादा मामले

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में एक महीने में ठगी के 250 से ज्यादा केस दर्ज किए जाते हैं। इनमें अधिकतर मामले कार्ड क्लोनिंग के होते हैं। इसके अलावा पेटीएम की केवाईसी के नाम पर, विदेश भेजने के नाम पर, लिंक भेजकर, पैसे दोगुना करने के नाम पर ठगी के मामले सामने आते हैं। हालत यह है कि सालभर में सिर्फ आठ से दस लोगों के रुपये ही वापस मिलते हैं। 

वेबसाइट हैक करने का मामला आ चुका  

आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक कर रेलवे ई-टिकट बेचने का फर्जीवाड़ा सामने आया था। पिछले दिनों गाजियाबाद पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी नोएडा के गांव बिशनपुर निवासी मननजय तिवारी ने खुलासा किया था है कि नोएडा में और कई जगह फर्जी आईडी बनाकर रेलवे के ई-टिकट बेचे जा रहे हैं। आरोपी सेक्टर-58 के सी ब्लॉक में फोटोस्टेट की दुकान की आड़ में धोखाधड़ी कर रहा था। आरपीएफ आरोपियों के पास उस सॉफ्टवेयर का पता लगा रही है जो आईआरसीटीसी वेबसाइट को हैक कर लेता है। 

24 घंटे में शिकायत करें 

कार्ड क्लोन होने बाद जब किसी के खाते से पैसे निकल जाएं तो उसे 24 घंटे के भीतर बैंक में शिकायत करनी चाहिए। बैंक उपभोक्ता से फॉर्म भरवाता है। इसके बाद पीड़ित को साइबर सेल में शिकायत करनी होती है। साइबर सेल जांच के बाद बैंक को ई-मेल करता है। इससे ठगी की पुष्टि हो जाती है। इसके बाद बैंक उपभोक्ता की मुकम्मल रकम वापस कर देता है। 

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