ट्रैफिक और निर्माण हैं दिल्ली में वायु प्रदूषण के जिम्मेदार: Study
दिल्ली में मौसम की स्थिति अब भी खराब है और हवा जहरीली बनी हुई है। पिछले कुछ महीनों से राजधानी में लोगों को सांस के साथ जहर लेना पड़ रहा है और इसका अहम कारण ट्रैफिक और निर्माण कार्य हैं। एक नए शोध में दावा किया गया है कि राजधानी दिल्ली की हवा प्रदूषित होने के पीछ कोई ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदान नहीं है बल्कि यहां के स्थानीय कारणों की वजह से ऐसा हो रहा है। इस स्टडी में दावा किया गया है कि ट्रैफिक, निर्माण कार्यों और घरेलू कार्यो में पैदा होने वाली ऊष्मा से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की हवा प्रदूषित हो रही है। इस सबके चलते दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण के बेहद घातक कण घुले हुए हैं।
इस शोध को सस्टेनेबिल सिटीज एंड सोसाइटी जरनल में प्रकाशित किया गया है। शोध करने वालों ने दिल्ली के अलावा हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 12 स्थानों से पिछले चार साल तक प्रदूषण के आंकड़ों को संग्रहित करने के बाद की स्टडी में यह दावा किया है। स्टडी में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि इन क्षेत्रों में प्रदूषित कण पीएम 2.5 और पीएम 10 और (नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और ओजोन) गैस हैं। इन सबके प्रभाव से देश का यह हिस्सा सर्वाधिक प्रदूषित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार वायु प्रदूषण से वर्ष 2016 में पूरे विश्व में करीब 42 लाख लोगों की मौत हुई है। जबकि भारत में करीब छह लाख मौतें सालाना वायु प्रदूषण के कारण ही होती हैं। विश्व में वायु प्रदूषण के कुछ उच्चतम स्तर दिल्ली में देखे जा सकते हैं। सुरे विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार ने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने का एजेंडा नासिर्फ भारत बल्कि विश्व के सभी देशों में सर्वोच्च होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि हमारे विश्लेषण से दिल्ली वायु प्रदूषण के आंकड़े प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की अहम भूमिका का पता चलता है। इसमें वाहनों के यातायात, घरों में उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों से भी तापमान बढ़ रहा है और वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। दिल्ली क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता पर इसका बेहद बुरा असर होता है। प्रशांत कुमार ने दिल्ली के आसपास के इलाकों में सर्दियों के महीनों में बुरा असर पड़ने का भी जिक्र किया है।
उन्होंने बताया कि लंबे समय तक चले अध्ययन के बावजूद यह ट्रेंड स्पष्ट है कि गर्मियों, मानसून के मुकाबले सर्दियों में वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है।
हवा में पाए जाने वाले हानिकारक सूक्ष्म कण (पीएम2.5 और पीएम2.5-10) जाड़े के महीनों में अत्यधिक बढ़ जाते हैं क्योंकि दिल्ली आसपास के इलाकों में जलाई गई पराली के धुएं से भर जाती है। घरों से पैदा होने वाली ऊष्मा से भी प्रदूषण में इजाफा होता है। हवा की गति भी वायु प्रदूषण की तीव्रता में जिम्मेदार होती है। अनुसंधान टीम ने शोध की अवधि में इन जिलों के मौसम संबंधी आंकड़ों के आधार पर भी पाया कि प्रदूषण के लिए स्थानीय स्रोत ही अधिक जिम्मेदार हैं।