सुलेमानी के खात्‍मे के बाद अमेरिका की दूसरी एयर स्‍ट्राइक, ईरान ने खटखटाया यूएन का दरवाजा

अमेरिका ने बगदाद में ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर नेता एवं शीर्ष कुद्स कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराने के एक दिन बाद शनिवार को फ‍िर एयर स्‍ट्राइक की। समाचार एजेंसी एएनआइ के ट्वीट के मुताबिक, अमेरिका ने इराक में अपनी दूसरी एयर स्‍ट्राइक में फ‍िर एक हश्‍द कमांडर को मार गिराया है। इस हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। ताजा अमेरिकी एयर स्‍ट्राइक में मारे गए लोग ईरान समर्थक मिलिशिया हश्‍द अल-शाबी के बताए जा रहे हैं। मिलिशिया हश्‍द अल-शाबी ईरान समर्थक पापुलर मोबलाइजेशन फोर्सेस का दूसरा नाम है।

समाचार एजेंसी रॉयटर ने इराकी सेना के सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिका ने इस बार उत्‍तर बगदाद में इराकी मिलिशिया के काफ‍िले को निशाना बनाया। मिलिशिया के तीन में से दो वाहन हवाई हमले की जद में आ गए जिनमें कई लोगों की मौत हो गई। स्‍थानीय समयानुसार रात करीब 1:12 बजे हुए इस हमले में किस कमांडर की मौत हुई है इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है। सुलेमानी की मौत के एक दिन बाद हुए दूसरे हमले में निशाना बनाए गए अर्द्धसैन्य नेटवर्क हशद अल शाबी ने अपने बयान में हमले की जानकारी दी है लेकिन यह नहीं बताया है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। वहीं इराकी सरकारी टीवी चैनल की ओर से कहा गया है कि यह हमला अमेरिका ने किया है। 

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी और इराकी अर्द्धसैन्य बल के उप प्रमुख अबू महदी अल मुहांदिस के लिए शोक मार्च निकाला जाना था जिसके कुछ ही घंटों पहले यह हमला किया गया। इस ताजा हमले के बारे में अमेरिका की ओर से कोई टिप्‍पणी नहीं की गई है। आधिकारिक तौर पर मरने वालों का आंकड़ा भी जारी नहीं किया गया है। 

ईरान ने यूएन को लिखा पत्र, कहा- हमें है आत्‍मरक्षा का अधिकार 

समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक, ईरान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्‍त राष्‍ट्र महासिचव एंटोनियो गुटेरेस से कहा है कि अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के तहत उसे आत्मरक्षा का अधिकार है। संयुक्‍त राष्‍ट्र में ईरानी राजदूत माजिद जख्‍त रावांची ने विश्‍व संस्‍था को लिखे अपने पत्र में कहा है कि सुलेमानी की हत्‍या स्‍टेट टेरेरिज्म का प्रत्‍यक्ष उदाहरण है। यह एक आपराधिक कृत्य और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के बुनियादी सिद्धांतों का उल्‍लंघन है। यही नहीं यह कृत्‍य संयुक्‍त राष्‍ट्र के चार्टर का भी उल्‍लंघन है। मालूम हो कि अमेरिकी एयर स्‍ट्राइक के बाद पैदा हुए हालात पर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव भी चिंता जता चुके हैं। 

ईरान को बड़ा झटका 

अमेरिका ने शुक्रवार को बगदाद के एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला करके ईरान के शीर्ष कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को मौत के घाट उतार दिया। हमले में सुलेमानी के सलाहकार एवं इराकी मिलिशिया कताइब हिजबुल्ला के कमांडर अबू महदी अल-मुहंदिस की भी मौत हो गई। मालूम हो कि अमेरिका ने सुलेमानी को आतंकी घोषित कर रखा था। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्डस की कुद्स फोर्स के प्रमुख सुलेमानी ने पश्चिम एशिया में ईरान का सैन्य प्रभाव बढ़ाने में मुख्‍य भूमिका निभाई थी। 

अमेरिका ने भेजे साढ़े तीन हजार अतिरिक्‍त सैनिक

शीर्ष कमांडर की मौत से बौखलाए ईरान ने बदला लेने और अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब देने का एलान किया है। वहीं सुलेमानी की मौत से पैदा हुए तनाव को देखते हुए अमेरिका ने पश्चिम एशिया में और साढ़े तीन हजार अतिरिक्त सैनिकों को भेजने का फैसला किया है। हालांकि, पेंटागन से अभी आधिकारि‍क घोषणा होनी बाकी है। ये सैनिक 82वीं एयरबोर्न डिवीजन के उन 700 सैनिकों के अतिरिक्त होंगे जिन्हें इस हफ्ते की शुरुआत में कुवैत में तैनात किया गया था। इनकी तैनाती बगदाग में अमेरिकी दूतावास पर हमले के बाद की गई है।  

ट्रंप बोले, नहीं चाहता कि युद्ध हो 

इस बीच फ्लोरिडा में छुट्टियां बिता रहे अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कासिम सुलेमानी की हत्‍या ईरान के साथ विवाद बढ़ाने के लिए नहीं की गई है। हमने यह कार्रवाई एक युद्ध को खत्‍म करने के लिए की है ना कि एक युद्ध शुरू करने के लिए… हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा है कि यदि इस्‍लामिक देश ने कोई जवाबी कार्रवाई की तो अमेरिका इससे निपटने के लिए तैयार है। उन्‍होंने ईरान को यह हिदायत दी कि वह अपने पड़ोसियों को अस्थिर करने से बाज आए।

मंडराया युद्ध का खतरा 

जानकारों की मानें तो अमेरिकी रवैये के कारण समूचे खाड़ी क्षेत्र में समीकरण बदल सकते हैं। खासतौर पर सऊदी अरब पर हमले का खतरा बढ़ गया है। यही नहीं फलस्तीनी क्षेत्र से भी इजरायल पर हमले बढ़ सकते हैं। इन्‍हीं खतरों को देखते हुए इजरायली राष्ट्रपति नेतन्याहू ने अपनी यूनान की यात्रा बीच में ही छोड़ दी है। इन बदले हालातों में ईरान पर बदला लेने का भारी दबाव है। ऐसे में यदि ईरान कोई भी कार्रवाई करता है तो अमेरिका भी उसे जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा। नतीजतन रूस के मैदान में आने की नौबत आ सकती है। 

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