पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए PM इमरान ने बुलाया संसद सत्र

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए पीएम इमरान खान ने संसद सत्र बुलाया है। जानकारी के अनुसार शुक्रवार को आर्मी एक्ट में संशोधन करने के लिए बिल पेश कर सकते हैं। बता दें कि जनरल बाजवा को तीन साल का विस्तार दिया गया था। इस फैसले पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट से चेतावनी मिली थी। कोर्ट ने कहा था कि आर्मी एक्ट में जनरल बाजवा के विस्तार के लिए प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने इस विस्तार को छह माह कर दिया था। सरकार को इसे लेकर छह महीने के भीतर संसद में कानून बनाने को कहा था।  

पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को संविधान और आर्मी एक्त में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी देने के लिए एक कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। मामले पर विपक्ष के साथ सहमति बनाने के बाद सरकार शुक्रवार को संसद में संशोधन बिल भी पेश करेगी। बाजवा इस साल 60 साल के हो जाएंगे।

इमरान ने अगस्त में बाजवा के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला किया था

बुधवार की बैठक में भाग लेने वाले एक कैबिनेट सदस्य ने कहा कि विस्तार के मामले में सेना प्रमुख की अधिकतम आयु सीमा 64 वर्ष बढ़ाने का आह्वान किया गया है। हालांकि, सेना प्रमुख की नियमित आयु सीमा 60 वर्ष होगी। इसके अलावा, उन्हें विस्तार दिए जाने पर प्रधानमंत्री अंतिम निर्णय लेंगे। प्रधानमंत्री इमरान खान ने 19 अगस्त, 2019 को बाजवा के कार्यकाल को और तीन साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया था।

जनरल बाजवा के विस्तार को चुनौती दी गई

जनरल बाजवा के विस्तार को चुनौती दी गई। इसे संविधान के अनुच्छेद 243 (4) (बी) के खिलाफ बताया गया। यह मामला शुरू में ज्यूरिस्ट फाउंडेशन द्वारा दायर किया गया था, लेकिन उनके द्वारा इस मामले को वापस लेने के लिए कहने के बाद अदालत खुद इसपर सुनवाई का फैसला किया। पिछले साल 28 नवंबर को अदालत ने जनरल बाजवा के कार्यकाल को छह महीने के लिए बढ़ा दिया और सरकार को ऐसी नियुक्तियों के लिए कानून बनाने का आदेश दिया। मामले में विस्तृत फैसला 16 दिसंबर को जारी किया गया था।

कानून बनाने के लिए छह महीने का समय दिया

फैसले में कहा गया कि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए मामले को संसद को सौंपा जा रहा है। इस दौरान संसद से सेना प्रमुख के पद के लिए एक कार्यकाल आवंटित करने का भी आग्रह किया गया। अदालत फैसले सुनाते वक्त सरकार को संसद से मामले पर कानून बनाने के लिए छह महीने का समय दिया था।

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