बिहार में कांग्रेस सरकार का सपना जमीन पर आएगा?

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव में नहीं उतर रहे हैं, बस यही एक खबर बची है। बाकी सारी खबरें कांग्रेस ने पहुंचा दी है। कांग्रेस कार्यसमिति की बुधवार को पटना के सदाकत आश्रम में हो रही बैठक को देखकर तो यही कहना सही होगा। राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह बिहार में कांग्रेस सरकार का सपना जमीन पर उतारना चाहते हैं तो यह गलत भी नहीं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी सही मायने में कांग्रेस ने ही सबसे पहले शुरू की थी और इस बार अब तक की सबसे बड़ी हैप्पनिंग वाली पार्टी भी यही है।

साल की शुरुआत से ही राहुल सक्रिय, CWC बैठक से पहले इतनी यात्राएं भी पहली बार
कांग्रेस कार्यकारिणी (CWC) की बैठक पहली बार बिहार में हो रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बुधवार को सदाकत आश्रम में होने वाली बैठक की पूर्व संध्या पर ही पटना पहुंच गए। इस साल वह लगातार पटना आ रहे हैं। कांग्रेस ने नंबर वन नेता राहुल गांधी ने इस साल की शुरुआत में ही यह तैयारी दिखा दी थी। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने बगैर सीट बांटे ही अपने प्रत्याशी उतार दिए थे तो राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव में वह परिस्थिति नहीं आने देने की पूरी तैयारी कर ली थी। राहुल गांधी ने साल की शुरुआत के साथ ही बिहार पर ध्यान देना शुरू कर दिया। आना-जाना शुरू कर दिया। कभी कन्हैया कुमार के साथ तो कभी तेजस्वी यादव के हाथ का मुद्दा लेकर यात्रा करते हुए बिहार में नजर आए।

पार्टी अध्यक्ष बदला, पप्पू यादव और कन्हैया कुमार भी उसी दांव का हिस्सा
इस साल राहुल गांधी ने बिहार आना-जाना शुरू किया और कन्हैया कुमार को सक्रिय किया तो सबसे पहला और बड़ा काम बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाने का किया। अखिलेश सिंह अगड़ा चेहरा थे। लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया के माने जाते थे और हैं। इसलिए, सबसे पहले उन्हें हटाया गया। उनकी कुर्सी जगजीवन राम के बाद दलित समाज के सर्वमान्य कांग्रेस नेता रहे स्व. दिलकेश्वर राम के विधायक बेटे राजेश कुमार को दी। इसके बाद राहुल गांधी ने कई सभाओं में दलित-पिछड़े-गरीबों की बात कर लालू प्रसाद यादव की पार्टी के कोर वोट बैंक को भी निशाने पर लिया। लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उतर लालू प्रसाद यादव के फैसले को गलत साबित करने में कामयाब रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को प्रत्यक्ष में दूर, परोक्ष में पास भी रखा। बेगूसराय से लेकर दिल्ली तक हार का सामना कर चुके कन्हैया कुमार को लेकर भी प्रत्यक्ष-परोक्ष वाला हिसाब रखा। बिहार की राजनीति में माना जाता है कि कन्हैया कुमार को तेजस्वी यादव पसंद नहीं करते हैं। इसलिए भी यह प्रत्यक्ष-परोक्ष वाला गणित परिस्थितियों से मेल खाता दिखता है।

वोटर अधिकार यात्रा खत्म करते-करते महागठबंधन का नाम भी गायब
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले धीरे-धीरे कर कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले ‘महागठबंधन’ का नाम मिटा ही दिया है। वोटर अधिकार यात्रा खत्म होते-होते राष्ट्रीय स्तर पर बने विपक्षी गठबंधन- I.N.D.I.A. के नेताओं को बुलाकर और महागठबंधन से बाहर के दलों को साथ लाकर कांग्रेस ने इंडी एलायंस को प्रभावी बना दिया है। यही कारण है कि राहुल गांधी ने सीएम के रूप में तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति को लेकर पूछे सवाल का जवाब टाल दिया था।

बिहार में कांग्रेस सरकार का विज्ञापन भी आ रहा लगातार
सिर्फ महागठबंधन का नाम ही नहीं गायब हुआ, कांग्रेस लगातार चुनावी विज्ञापनों में भी अपनी ही बात कर रही। कांग्रेस की ओर से पिछले दो महीने के अंदर लगभग हर दिन बिहार में विज्ञापन आया, जिसमें ‘कांग्रेस सरकार’ की बात कही गई। न तो कहीं महागठबंधन का नाम लिखा गया और न इंडी एलायंस का। तेजस्वी यादव या किसी और नेता की तस्वीर तक इन विज्ञापनों में नहीं। मतलब, जमीन पर यात्राओं के साथ परसेप्शन खड़ा करने के लिए ‘कांग्रेस सरकार’ के विज्ञापन दिए गए। वह भी तब, जबकि सामने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समवेत विज्ञापन आ रहा है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker