दूसरे दिन भी कामकाज ठप; राजधानी में जारी रहेगी वकीलों की हड़ताल

दिल्ली की जिला अदालतों में शनिवार को वकीलों की हड़ताल का दूसरा दिन रहा। इस दौरान कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। वहीं एलजी के आदेश के विरोध में वकीलों की हड़ताल सोमवार को भी जारी रहेगी।
दिल्ली की सभी जिला अदालतों में वकीलों ने उपराज्यपाल (एलजी) की तरफ से जारी एक अधिसूचना के विरोध में शनिवार को भी अपनी हड़ताल जारी रखी। इस दौरान तीस हजारी, साकेत, रोहिणी, कड़कड़डूमा, और द्वारका सहित सभी जिला अदालतों में वकील न तो व्यक्तिगत रूप से और न ही वर्चुअल माध्यम से पेश हुए। हड़ताल सोमवार को भी रहेगी।
इस हड़ताल के चलते कई मामलों की सुनवाई प्रभावित हुई और पक्षकारों को नई तारीखें दी गईं। हड़ताल के दौरान जिला अदालतों में पूरा कामधाम ठप नजर आया। कोर्ट में न्यायाधीश और कर्मचारी मौजूद रहे, लेकिन वकीलों की अनुपस्थिति के चलते किसी भी केस की सुनवाई नहीं हो सकी। वकील अपने-अपने चैंबर में रहे और सामूहिक रूप से विरोध दर्ज कराया।
इस संबंध में शनिवार को कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस की बैठक तीस हजारी कोर्ट में हुई। इस दौैरान समिति ने फैसला लिया कि हड़ताल सोमवार को भी जारी रहेगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि लोक अभियोजकों, ईडी, सीबीआई, पुलिस अधिकारियों सहित एनएआईबी अदालतों को भी अदालतों में पेश होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वहीं, आलोचना की गई अधिसूचना आम लोगों के खिलाफ है, इसलिए सोमवार को सभी अदालत परिसरों के बाहर प्रदर्शन भी किया जाएगा, ताकि आम लोगों को इस मनमानी अधिसूचना के बारे में जागरूक किया जा सके। समिति ने यदि सोमवार तक अधिसूचना वापस नहीं ली जाती है, तो हम उपराज्यपाल आवास का घेराव सहित विरोध प्रदर्शन तेज करने के लिए बाध्य होंगे। वहीं, समन्वय समिति ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने वाले उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्तावों को स्वीकार और सराहना की।
वकीलों का कहना है कि पुलिस थानों से बयान दर्ज करने की प्रक्रिया से मुकदमों की निष्पक्षता खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि पुलिस अधिकारी आंतरिक दस्तावेजों या बाहरी मदद का उपयोग कर सकते हैं। वहीं, बार एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि सरकार का यह फैसला कि पुलिस थानों से गवाहियों को रिमोट मोड पर रिकॉर्ड किया जाएगा, न्याय प्रणाली की पारदर्शिता पर गहरी चोट है।
उन्होंने कहा कि कोर्ट को यह कैसे पता चलेगा कि गवाही देने वाले व्यक्ति पर कोई दबाव है या नहीं और उसके आसपास कौन मौजूद है। इससे फेयरनेस बिल्कुल खत्म हो जाएगी। वहीं, वकीलों का कहना है कि दिल्ली के वकील इस कानून को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। वह मांग करते हैं कि इसे तुरंत वापस लिया जाए, नहीं तो हड़ताल आगे भी जारी रह सकती है।
इससे पहले कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने 20 अगस्त को एलजी, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 48 घंटे में अधिसूचना वापस लेने की मांग की थी। जवाब न मिलने पर कमेटी ने 21 अगस्त को आपात बैठक में 22 और 23 अगस्त को हड़ताल का फैसला लिया था।