अक्टूबर फर्राटा भरेंगे वाहन, यमुनापार में ट्रैफिक जाम से राहत की उम्मीद

बीते दिनों यूईआर-दो के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अक्तूबर में इसे जनता के लिए शुरू कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस दिवाली पर लोगों को दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे का तोहफा मिल सकता है।
दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे पर इस साल अक्तूबर से वाहन फर्राटा भर सकेंगे। बीते दिनों यूईआर-दो के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अक्तूबर में इसे जनता के लिए शुरू कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस दिवाली पर लोगों को दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे का तोहफा मिल सकता है। करीब 12,000 करोड़ की लागत से तैयार हो रहे एक्सप्रेसवे से राजधानी से देहरादून तक जाना आसान होगा। साथ ही यमुनापार में जाम का झाम भी खत्म होगा।
एक्सप्रेसवे के पहले खंड की लंबाई 32 किलोमीटर है। इसको दो हिस्सों में तैयार किया किया गया है। एक की लंबाई 14.75 किमी है। यह अक्षरधाम से शुरू होता है और लोनी बॉर्डर पर खत्म होता है। वहीं, दूसरे पैकेज की लंबाई 16.85 किलोमीटर है। यह लोनी से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) तक जाता है। पैकेज-एक की लागत 1100 और पैकेज-दो की लागत 1323 करोड़ है। पैकेज-एक में 6.398 किलोमीटर और पैकेज-दो में 11.244 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड है। यह पहले ही बनकर तैयार हो चुका है।
एक्सप्रेसवे को पिछले साल दिसंबर में ही शुरू करने की योजना थी, लेकिन बताया जा रहा है कि एलिवेटेड सेक्शन में वेयरिंग में फॉल्ट होने के कारण शुरू नहीं हो पाया। सूत्रों ने बताया कि अक्षरधाम से लेकर यूपी गेट तक पैकेज-1 में 30 से अधिक वेयरिंग और लोनी से लेकर बागपत तक पैकेज-2 में 50 से अधिक वेयरिंग रिप्लेस करने का काम किया गया। यह काम अब पूरा हो चुका है।
यमुनापार में वाहनों का दबाव होगा कम
एक्स्प्रेसवे से जहां एक ओर यमुनापार में वाहनों का दबाव कम होगा, वहीं दूसरी ओर दिल्ली वालों को इस हिस्से में कोई भी टोल नहीं देना होगा। एक्सप्रेसवे के इस हिस्से में अक्षरधाम, गांधी नगर-गीता कॉलोनी, आईएसबीटी-दिलशाद गार्डन मार्ग, खजूरी पुस्ता मार्ग और सिग्नेचर ब्रिज मार्ग पर एग्जिट और एंट्री पॉइंट बनाए गए हैं। इसमें शास्त्री पार्क रेडलाइट के पास अलग से एक लूप बनाया गया है। इसकी मदद से कश्मीरी गेट बस अड्डे की तरफ से आने वाले वाहनों का हाईवे पर जाना आसान होगा। इसी तरह से खजूरी खास में भी एग्जिट और एंट्री प्वाइंट बनाए गए हैं। खास बात यह है कि दिल्ली में एक्सप्रेसवे में प्रवेश करने और बाहर निकलने वाले यात्रियों को टोल नहीं देना होगा।
चार चरणों में तैयार किया गया है एक्सप्रेसवे
दिल्ली से देहरादून तक एक्सप्रेसवे को चार चरणों में तैयार किया गया है। पहला चरण 32 किमी का अक्षरधाम से बागपत तक का है। इसे 25 मिनट में तय किया जा सकेगा। वहीं दूसरा चरण 118 किमी का बागपत से सहारनपुर तक ग्रीनफील्ड कॉरिडोर हैं, इसमें 60 से अधिक अंडरपास और 4 बड़े इंटरचेंज होंगे। जबकि तीसरे और चौथे चरण में 14 किमी का डेडिकेटेड वाइल्डलाइफ अंडरपास बनाया गया है। ताकि जंगली जानवरों की आवाजाही प्रभावित न हो।
दक्षिणी दिल्ली को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाएगा नया फ्लाईओवर प्रोजेक्ट
दक्षिणी दिल्ली के व्यस्त आउटर रिंग रोड पर ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बड़ा कदम उठाया है। विभाग जल्द ही मोदी मिल और सावित्री सिनेमा चौराहों पर प्रस्तावित फ्लाईओवर परियोजना के लिए मिट्टी जांच और जियोटेक्निकल सर्वे शुरू करेगा। करीब 412 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले यह प्रोजेक्ट मौजूदा फ्लाईओवरों को दोगुना चौड़ा कर उन्हें एक नए एलिवेटेड स्ट्रेच से जोड़ेगा, जिससे फ्लाईओवर कॉरिडोर तैयार होगा।
अधिकारियों के अनुसार निर्माण कार्य शुरू होने के बाद इसे पूरा करने में कम से कम एक साल का समय लगेगा। हालांकि काम तभी शुरू होगा जब सभी जरूरी अनुमतियां मिल जाएंगी। विभाग ने कहा कि पिछली परियोजनाओं में अनुमति न मिलने से काम अटक गया था, इसलिए इस बार पहले ही सभी मंजूरी लेने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। यह योजना पीडब्ल्यूडी के बड़े लक्ष्य सराय काले खां से मालवीय नगर तक सिग्नल-फ्री कॉरिडोर का हिस्सा है। 2015 में प्रस्तावित और 2016 में यूनिफाइड ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर (प्लानिंग और इंजीनियरिंग) सेंटर से मंजूरी मिलने के बाद यह परियोजना फंड की कमी, भूमि अधिग्रहण और पेड़ों की कटाई संबंधी अनुमति न मिलने की वजह से अटका रहा।
एयरपोर्ट की आवाजाही होगी दुरुस्त
सावित्री सिनेमा फ्लाईओवर वर्ष 2001 में सिंगल कैरिजवे बना था। मौजूदा स्थिति में नेहरु प्लेस से आईजीआई एयरपोर्ट जाने वाले इस फ्लाईओवर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आईजीआई की ओर से आने वाले वाहनों को यहां पर फ्लाईओवर की सुविधा नहीं मिल पाती है। अधिकारियों ने बताया कि एयरपोर्ट से नेहरू प्लेस, गोंविदपुरी, आंबेडकर नगर और महरौली की ओर आने वाले यातायात यहां आकर जाम में फंस जाते हैं। ऐसे में वाहन चालकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
दूसरी ओर फ्लाईओवर जहां मौजूद है, वहां सड़क की चौड़ाई भी काफी कम है। इस कारण बॉटल नैक बन जाता है और कई किलोमीटर लंबा जाम लगता है। यह प्रोजेक्ट पूरा होने पर चित्तरंजन पार्क, ग्रेटर कैलाश, चिराग दिल्ली, कालकाजी और नेहरू प्लेस जैसे इलाकों में आने-जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी। वर्तमान में चिराग दिल्ली फ्लाईओवर से निकलने वाला ट्रैफिक तीन दिशाओं में बंटता है, जिससे अक्सर जाम की स्थिति बनती है।