सुप्रीम कोर्ट के बाद मद्रास हाईकोर्ट भी आवारा कुत्तों पर दे सकता है सख्त आदेश

उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर हुई हैं, जिनमें से कुछ आवारा कुत्तों, सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं और मंदिरों में कुत्तों द्वारा श्रद्धालुओं पर हमले के संबंध में हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने जो डेटा उच्च न्यायालय में पेश किया, वह बेहद डराने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए सख्त आदेश जारी किए। यह मामला देशभर में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। अब मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने भी संकेत दिए हैं कि वे भी आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए कोई अहम आदेश दे सकती है।

आवारा कुत्तों के काटने के मामले चौंकाने वाले
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने मंगलवार को ऐसे संकेत दिए कि वे राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर दिए गए निर्देश लागू करने के लिए कह सकती है। उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर हुई हैं, जिनमें से कुछ आवारा कुत्तों, सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं और मंदिरों में कुत्तों द्वारा श्रद्धालुओं पर हमले के संबंध में हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने जो डेटा उच्च न्यायालय में पेश किया, वह बेहद डराने वाला है। दावा किया गया है कि तमिलनाडु में कुत्तों के काटने के इस साल ही 3.67 लाख मामले सामने आए हैं, जिनमें से 20 लोगों की रेबीज की वजह से मौत हुई है।

दिशा-निर्देशों पर मिल रहीं मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए दिशा-निर्देशों का विस्तृत अध्ययन करेंगे और उसके बाद संयुक्त आदेश जारी करेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ पशु कल्याण कार्यकर्ताओं ने देश में जानवरों को रखने के लिए आश्रय स्थलों की कमी, कार्यबल और जानवरों के विशेषज्ञों की कमी पर चिंता जताई और कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों से निपटना आसान नहीं है। पशु कल्याण कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुत्तों को भी इस दुनिया में जीने का अधिकार है। उन्होंने चिंता जताई कि आश्रय स्थल में रखने से कुत्ते भूख-प्यास से मर जाएंगे। पशु कल्याण कार्यकर्ताओं का कहना है कि आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए उनकी नसबंदी और टीकाकरण का अभियान चलाने की जरूरत है।

वहीं कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हिंसक होने के चलते इस मामले में सख्त कार्रवाई की जरूरत है। इन लोगों का कहना है कि आज के समय में कुत्ते के काटने से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों की नसबंदी करने और रेबीज के संक्रमण को रोकने के उपाय करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि 8 हफ्तों में वे आवारा कुत्तों को रखने के लिए आश्रय स्थल बनाने की जानकारी दें। अदालत ने कहा कि आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई में कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस काम में आड़े आए तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई करें।

कोर्ट ने ये भी कहा कि ‘एमसीडी/एनडीएमसी और दिल्ली एनसीआर के संबंधित प्राधिकरण दैनिक आधार पर आवारा कुत्तों को पकड़ने का रिकॉर्ड रखें और पकड़े जाने के बाद एक भी आवारा कुत्ता वापस छोड़ा नहीं जाना चाहिए और सभी को आश्रय स्थल में रखा जाए।’ अदालत ने कहा कि रेबीज और कुत्तों के काटने की घटनाओं के सभी मामले भी रिपोर्ट किए जाएं। आवारा कुत्तों के बारे में शिकायत मिलने के चार घंटे के भीतर कार्रवाई होनी चाहिए।

अदालत ने वैक्सीन की उपलब्धता की भी पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने एक हेल्पलाइन स्थापित करने के भी निर्देश दिए। जिस पर लोग कुत्तों के काटने की घटनाओं को रिपोर्ट कर सकें।

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