दिल्ली: लागू होते ही हाईकोर्ट पहुंचा नई ईंधन नीति का मामला

दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू नए नियम पर दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन कोर्ट पहुंच गई। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की पीठ ने मामले को सितंबर महीने में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ऐसे निर्देशों को लागू करना पेट्रोल पंप मालिकों की जिम्मेदारी नहीं है, क्योंकि वे कोई राज्य एजेंसी नहीं हैं और न ही उनके पास कानून प्रवर्तन की वैधानिक शक्ति है। दरअसल दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 1 जुलाई 2025 से राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों को निर्देश दिया गया है कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन न दें। यह निर्णय सीएक्यूएम के आदेश पर लिया गया है।

आदेश के क्रियान्वयन में कानूनी चुनौतियां, व्यावहारिक दिक्कते सामने आ रही हैं। एसोसिएशन की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि अगर वे अनजाने में किसी ईएलवी को ईंधन दे देते हैं, तो उन्हें मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192 के तहत दंडित किया जा रहा है। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि आयोग दंड का भय दिखाकर ऐसे नियम लागू करा रही हैं, जिससे पंप मालिकों में भारी असमंजस और डर का माहौल बन गया है।

ई-वाहनों पर सब्सिडी की मांग
नई दिल्ली। दिल्ली पंचायत संघ ने किसानों के हित में पुरानी गाड़ियों पर लगे प्रतिबंध में राहत देने और ई-वाहनों पर सब्सिडी बढ़ाने की मांग की है। संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने कहा कि गांवों में कई गरीब व किसान परिवारों की आजीविका पुरानी गाड़ियों पर निर्भर है। ऐसे में इन पर रोक से रोजगार पर असर पड़ेगा। प्रदूषण की असली वजह केवल पुरानी गाड़ियां नहीं हैं। दिल्ली सरकार पुरानी गाड़ियों के लिए समयसीमा बढ़ाए और दोपहिया व छोटी कारों के बदले ई-वाहनों पर 30 प्रतिशत सब्सिडी दे।

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