संजय राउत की पुस्तक पर एकनाथ शिंदे के तीखे तंज, सीएम फडणवीस ने किताब को बताया बाल साहित्य

शिवसेना नेता संजय राऊत की नई पुस्तक ‘नरकातला स्वर्ग’ (नर्क में स्वर्ग) महाराष्ट्र के राजनितिक हलके में चर्चा का विषय बनी हुई है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पुस्तक को लेकर कहा कि किस्से-कहानियां पढ़ना मैं बहुत पहले छोड़ चुका हूं। ऐसा बाल साहित्य मैं नहीं पढ़ता।

एकनाथ शिंदे ने साधा संजय राउत पर निशाना
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि संजय राउत को इस पुस्तक का नाम नर्क का राउत रखना चाहिए था। वहीं उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी राउत की पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि वह बालासाहब ठाकरे के विचारों को साथ रहते, तो उन्हें नर्क में गिरकर इतना नीचे न जाना पड़ता, जहां वह आज पहुंच गए हैं।

राज्य सभा सदस्य संजय राउत ने यह पुस्तक अपनी जेल डायरी के रूप में लिखी है। कुछ वर्ष पहले उन्हें ईडी ने पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तार कर करीब 100 दिनों तक जेल में रखा था।

जेल में लिखे गए अपने अनुभवों पर आधारित है संयय राउत की किताब
जेल में लिखे गए अपने अनुभवों को ही संजय राउत ने एक पुस्तक का रूप दिया है, जिसके लोकार्पण समारोह में शनिवार को उनकी पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के अलावा राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार तथा लेखक जावेद अख्तर भी उपस्थित थे।
राउत ने इस पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर निशाना साधा है। पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि पत्रा चाल घोटाले में अपनी गिरफ्तारी से पहले मैंने अमित शाह को सीधे फोनकर कहा था कि मुझे गिरफ्तार करना है, तो कीजिए। लेकिन मेरे परिचितों को परेशान मत कीजिए।

राउत बोले- मुझे आतंकी कसाब वाली कोठरी में रखा गया था
राउत के अनुसार, गिरफ्तारी के दौरान मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में उन्हें उसी कोठरी में रखा गया था, जिसमें कभी पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को रखा गया था। संजय राउत की यह पुस्तक प्रकाशित होने के बाद से महाराष्ट्र के राजनीतिक हलके में यह चर्चा का विषय बनी हुई है।

उद्धव ठाकरे ने ईडी को लेकर कही ये बात
वहीं शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा है कि ईडी द्वारा लागू किए जाने वाले मनी लांड्रिंग से संबंधित पीएमएलए जैसे कानून को लागू करने का अधिकार राज्यों को भी होना चाहिए। उद्धव ने यह बात राऊत की पुस्तक के लोकार्पण समारोह में कही।

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