Sourav Ganguly ने ठुकराया धरना प्रदर्शन का न्योता

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने SCC भर्ती घोटाले मामले पर टीचर्स द्वारा मिले धरना प्रदर्शन के न्यौते को ठुकरा दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी नौकरी खो चुके शिक्षकों का समूह गुरुवार को सौरव गांगुली के घर पहुंचा और उन्हें पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय तक मार्च निकालने के लिए आमंत्रित किया।

हालांकि, एबीपी आनंद की रिपोर्ट के मुताबिक, गांगुली ने उनका निमंत्रण को ठुकरा दिया। उन्होंने जवाब दिया कि प्लीज मुझे राजनीति में शामिल न करें।

Sourav Ganguly ने ठुकराया शिक्षकों द्वारा SSC स्कैम के खिलाफ धरना प्रदर्शन का न्योता

दरअसल, सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने कहा कि शिक्षकों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के शिक्षक जिनकी नियुक्ति इस महीने की शुरुआत में भर्ती में अनियमितताओं के कारण रद्द कर दी गई थी, वे नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक पढ़ाना जारी रख सकते हैं।

हालाकि, यह राहत केवल ‘बेदाग’ शिक्षकों के लिए है, जिनका नाम 2016 की नियुक्तियों की जांच के दौरान किसी भी अनियमितता से नहीं जुड़ा था। साथ ही राहत कक्षा 9, 10, 11 और 12 के शिक्षकों के लिए है।

सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के लिए ये समय सीमा तय की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि एसएससी को नए भर्ती अभियान के लिए 31 मई तक विज्ञापन जारी करना होगा और चयन प्रक्रिया 31 दिसंबर तक समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा,

“जहां तक ​​यह कक्षा 9 और 10 और कक्षा 11 और 12 के सहायक शिक्षकों से संबंधित है, हम आवेदन में की गई प्रार्थना को स्वीकार करने के इच्छुक हैं। निम्नलिखित शर्तों के अधीन कि नई भर्ती के लिए विज्ञापन 31 मई तक निकाला जाएगा और परीक्षा, पूरी प्रक्रिया सहित, 31 दिसंबर तक की जाएगी।”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य सरकार और आयोग 31 मई या उससे पहले एक हलफनामा दाखिल करेंगे, जिसमें विज्ञापन की प्रति के साथ-साथ शेड्यूल भी संलग्न किया जाएगा ताकि भर्ती प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी हो सके। लेकिन निर्देश के अनुसार विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जाता है, तो उचित आदेश पारित किए जाएंगे, जिसमें लागत लगाना भी शामिल है।

क्या है SSC स्कैम?

बता दें कि ये केस पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की तरफ से आयोजित 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता से जुड़ा है। ये आरोप लगे कि मामले नियुक्तियों के दौरान घोटाा हुआ। ऊपर से नीचे तक कई स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ और पक्षपात के जरिए करीबियों को नौकरी दी गई। मेरिट लिस्ट में कम नंबर वालों को नौकरी मिली और ज्यादा अंक वालों

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