औरंगजेब की तारीफ करने वाले सपा विधायक अबू आजमी को बड़ी राहत, कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत

मुंबई की एक सत्र अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आजमी को अग्रिम जमानत दे दी। आजमी के खिलाफ मुगल सम्राट औरंगजेब की तारीफ करने वाले बयानों को लेकर एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से 26 मार्च तक के लिए निलंबित भी किया गया है। कोर्ट ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लागू कीं और विधायक को 20,000 रुपये की जमानती राशि जमा करने का निर्देश दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.जी. रघुवंशी ने आजमी की अग्रिम जमानत याचिका को मंजूरी दी। कोर्ट ने उन्हें जांच में सहयोग करने के लिए 12, 13 और 15 मार्च को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने का आदेश दिया। साथ ही, सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने की चेतावनी भी दी गई।

विवाद की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब आजमी ने 3 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मीडिया से बातचीत में औरंगजेब को “एक अच्छा प्रशासक” बताया था। उन्होंने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा (म्यांमार) तक थीं और उस समय देश की जीडीपी विश्व की 24% थी, जिसके कारण भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। आजमी ने यह भी दावा किया कि औरंगजेब और मराठा राजा छत्रपति संभाजी महाराज के बीच का संघर्ष धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक था।

इन टिप्पणियों से नाराजगी फैल गई और इसे छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज का अपमान माना गया, जो महाराष्ट्र में बेहद सम्मानित हैं। इसके बाद, मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर किया गया कार्य), 302 (धार्मिक भावनाओं को आहत करना), और 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया।

आजमी का पक्ष

अपने बचाव में आजमी ने कहा कि उनके बयान को मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया और उनका इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या किसी शख्सियत का अपमान करने का नहीं था। कोर्ट में दायर अग्रिम जमानत याचिका में उनके वकील मुबीन सोलकर ने तर्क दिया कि आजमी के बयान सहज रूप से दिए गए थे और इनमें कोई पूर्व नियोजित इरादा नहीं था। आजमी ने यह भी कहा कि उन्होंने इतिहासकारों के लेखों का हवाला दिया था और बाद में अपने बयान को वापस ले लिया था।

मुंबई की एक सत्र अदालत ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आजमी को अग्रिम जमानत दे दी। आजमी के खिलाफ मुगल सम्राट औरंगजेब की तारीफ करने वाले बयानों को लेकर एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से 26 मार्च तक के लिए निलंबित भी किया गया है। कोर्ट ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लागू कीं और विधायक को 20,000 रुपये की जमानती राशि जमा करने का निर्देश दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.जी. रघुवंशी ने आजमी की अग्रिम जमानत याचिका को मंजूरी दी। कोर्ट ने उन्हें जांच में सहयोग करने के लिए 12, 13 और 15 मार्च को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने का आदेश दिया। साथ ही, सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने की चेतावनी भी दी गई।

विवाद की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब आजमी ने 3 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मीडिया से बातचीत में औरंगजेब को “एक अच्छा प्रशासक” बताया था। उन्होंने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा (म्यांमार) तक थीं और उस समय देश की जीडीपी विश्व की 24% थी, जिसके कारण भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। आजमी ने यह भी दावा किया कि औरंगजेब और मराठा राजा छत्रपति संभाजी महाराज के बीच का संघर्ष धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक था।

इन टिप्पणियों से नाराजगी फैल गई और इसे छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज का अपमान माना गया, जो महाराष्ट्र में बेहद सम्मानित हैं। इसके बाद, मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर किया गया कार्य), 302 (धार्मिक भावनाओं को आहत करना), और 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया।

आजमी का पक्ष

अपने बचाव में आजमी ने कहा कि उनके बयान को मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया और उनका इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या किसी शख्सियत का अपमान करने का नहीं था। कोर्ट में दायर अग्रिम जमानत याचिका में उनके वकील मुबीन सोलकर ने तर्क दिया कि आजमी के बयान सहज रूप से दिए गए थे और इनमें कोई पूर्व नियोजित इरादा नहीं था। आजमी ने यह भी कहा कि उन्होंने इतिहासकारों के लेखों का हवाला दिया था और बाद में अपने बयान को वापस ले लिया था।|#+|

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस मामले ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया। सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना ने आजमी के बयानों की कड़ी निंदा की। विधानसभा में सत्तापक्ष के सदस्यों ने इसे शिवाजी और संभाजी महाराज का अपमान बताया और उनके निलंबन की मांग की, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। वहीं, आजमी ने इसे अन्याय करार देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

आगे की जांच

कोर्ट के इस फैसले के बाद अबू आजमी को गिरफ्तारी से राहत मिल गई है, लेकिन जांच अभी जारी रहेगी। यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति और सामाकोर्ट के इस फैसले के बाद अबू आजमी को गिरफ्तारी से राहत मिल गई है, लेकिन जांच अभी जारी रहेगी। यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति और सामाजिक माहौल में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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