महाकुंभ मेले ने भरा राज्य जीएसटी का खजाना, दो महीने में इतने करोड़ का टैक्स जमा

महाकुंभ ने राज्य जीएसटी के खजाने को भरने में कोई असर नहीं छोड़ी। सिर्फ दो माह यानी जनवरी व फरवरी में 375.99 करोड़ का टैक्स जमा हुआ। यह पिछले वर्ष की अपेक्षा काफी अधिक है। यही नहीं महाकुंभ की वजह से प्रदेश के दूसरे जिलों में पंजीकरण होने के चलते वहां भी टैक्स कलेक्शन में बढ़ोत्तरी हुई है।
13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हुआ। 31 जनवरी बीतने के बाद एसजीएसटी के अधिकारियों ने मिले टैक्स की गणना की तो पता चला कि 184.88 करोड़ रुपये का कर मिला है। जबकि जनवरी 2024 में 178.07 करोड़ का टैक्स जमा हुआ था। इस तरह 3.83 प्रतिशत की वृद्धि रही।
फरवरी में मेला समाप्त होने के बाद मिले टैक्स को देखा गया तो 181.11 करोड़ का कर जमा हुआ था। पिछले वर्ष फरवरी में 157.67 करोड़ का टैक्स जमा हुआ था। यानी इस बार 14.87 प्रतिशत अधिक टैक्स जमा हुआ। यह सिर्फ टैक्स जमा होने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पिछले सात वर्ष का रिकार्ड भी टूट गया।
जनवरी व फरवरी में कभी इतना कर राज्य जीएसटी को नहीं मिला था। एडीशनल कमिश्नर ग्रेड टू दीनानाथ का कहना है कि महाकुंभ की वजह से टैक्स अधिक जमा हुआ। विभागीय अधिकारी भी लगातार नजर रख रहे थे। सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई है।
इसमें अयोध्या में 15.34, वाराणसी में 14.59, आगरा 14.61, अलीगढ़ 12.33, बरेली 23.60, गौतमबुद्ध नगर 20.83 और लखनऊ प्रथम 12.79 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इसके पीछे वजह यह रही कि श्रद्धालुओं ने वाहनों में डीजल-पेट्रोल भरवाएं। होटलों में रुके।
रेस्टोरेंटों में चाय-नाश्ता व खाना खाया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हेलीकाप्टर सेवा का उपयोग किया। श्रद्धालुओं ने खरीददारी भी की। इसके अलावा कई ऐसे कारण रहे, जिससे प्रयागराज के साथ ही आसपास के जनपदों में भी टैक्स कलेक्शन बढ़ा।
35 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को मिला घर जैसे माहौल
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को घर जैसा खाना और घर जैसा माहौल मिले, इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा शुरू की गई होम स्टे योजना के उत्साहित करने वाले परिणाम आए हैं। इससे जहां एक तरफ शहर स्थानीय लोगों को आमदनी के लिए एक वैकल्पिक रास्ता मिल गया है तो वहीं पर्यटकों के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध हुए।
महाकुंभ शुरू होने से पहले यहां 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का प्रशासन का अनुमान था। लेकिन प्रशासनिक अनुमान पीछे रह गए और 45 दिन चले इस महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाई।