किस दिन मनाई जाएगी होली भाई दूज, ज्योतिषाचार्य से जानिए तिलक लगाने का तरीका और महत्व

होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार की रात को होगा और अगले दिन 14 मार्च को होली खेली जाएगी। 15 मार्च को पड़वा व 16 मार्च को भाई दूज मनाई जाएगी।

इस वर्ष होलिका गहन पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन रात 11 बजकर 26 मिनट से रात साढ़े बारह बजे तक करना शुभ रहेगा। भद्रा में होलिका दहन करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए होलिका का दहन नहीं किया जाता है।

ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि धुलेंडी 14 मार्च को मनाई जाएगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार भाई दूज 15 मार्च की बजाए 16 मार्च को मनाई जाएगी। होली का पर्व पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर अपनी खुशियों को साझा करते हैं।

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया

  • हर साल होलिका दहन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल के दौरान किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस कारण होलिका दहन का समय निर्धारित करने से पहले भद्रा समाप्त होने का इंतजार किया जाता है।
  • इस वर्ष भी होलिका दहन के दिन भद्रा का प्रभाव रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार, भद्रा काल 13 मार्च को रात 10 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगा। इसीलिए 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 मिनिट से रात साढ़े बारह बजे तक का समय होलिका दहन के लिए शुभ रहने वाला है। होलिका दहन के लिए यह शुभ अवधि एक घंटा चार मिनिट के लिए रहने वाली है।

होली भाई दूज 16 मार्च को मनेगी

हिंदू पंचांग के अनुसार, होली भाई दूज यानी चैत्र माह कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 15 मार्च को दोपहर दो बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन 16 मार्च को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार होली भाई दूज 16 मार्च को मनाई जाएगी।

होली भाई दूज पर तिलक लगाने का नियम

होली की भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन का निमंत्रण देती हैं। भाई का प्रेम पूर्वक स्वागत कर उन्हें चौकी पर बैठाएं। भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इसके बाद भाई को कुमकुम से तिलक कर चावल लगाएं। फिर भाई को नारियल देकर सभी देवी-देवता से उसकी सुख, समृद्धि दीर्घायु की कामना करें। अब भाई बहन को उपहार में सामर्थ्य अनुसार भेंट करें। भाई को भरपेट भोजन कराएं।

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