MP में पुलिस ने किया फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा, फिर मुख्य आरोपी से कर ली खास डील, चार सस्पेंड

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा करने के बाद मामले की जांच को दबाने के लिए पुलिस ने आरोपियों के साथ ही खास डील कर ली। जिसका खुलासा होने के बाद घूस लेने के आरोप में एक थाने के SHO (प्रभारी निरीक्षक) सहित चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। अधिकारियों ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी पुलिसकर्मियों में से एक के पास से कथित रूप से रिश्वत के तौर पर ली गई पांच लाख रुपए की राशि बरामद की गई है।

भोपाल (जोन 1) की अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रश्मि अग्रवाल दुबे ने आगे बताया कि रिश्वतखोरी के इस मामले को लेकर बुधवार देर रात ऐशबाग थाने के SHO जितेंद्र गढ़वाल, सहायक उप निरीक्षक (ASI) पवन रघुवंशी और मनोज सिंह तथा प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ उन्हीं के थाने में FIR दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि अन्य आरोपी पुलिस कर्मियों को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।

पुलिस के अनुसार प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में रहने वाला अंशुल जैन नाम का शख्स रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर पांच लाख रुपए का भुगतान करने आया था। जिसके बाद उसके खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस के अनुसार, रघुवंशी ने तीन अन्य आरोपी पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर एक व्यक्ति का नाम FIR में मुख्य आरोपी के रूप में न बताने के लिए 25 लाख रुपए में सौदा किया था और यह आरोपी देशभर में कई लोगों को ठगने वाला फर्जी कॉल सेंटर चलाता था।

रश्मि अग्रवाल ने कहा कि रिश्वतखोरी को लेकर शिकायत मिलने और एएसआई रघुवंशी के घर से पांच लाख रुपए बरामद होने के बाद चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि चारों आरोपी पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस ने 23 फरवरी को ऐशबाग इलाके में संचालित इस फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था, उस वक्त पुलिस ने एक आरोपी अफजल खान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उसे तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उसके साले मुइन को 151 के तहत कार्रवाई कर छोड़ दिया था। साथ ही इस मामले में दर्ज एफआईआर में भी उसका नाम ही नहीं लिखा। इस लापरवाही पर ASI पवन रघुवंशी को लाइन अटैच किया गया था।

फर्जी कॉल सेंटर पर छापे के दौरान पुलिस ने वहां से 80 कम्प्यूटर और करीब 30 मोबाइल सिम बरामद की थीं, लेकिन फिर भी FIR दर्ज करने में तीन दिन लग गए, इस दौरान आरोपियों के नाम भी सिर्फ दो नाम लिखे गए जबकि चार नाम सामने आए थे। जिसके बाद से ही पुलिस विभाग के अधिकारियों की नजर इस पूरे मामले पर थी।

पुलिस उपायुक्त प्रियंका शुक्ला ने कहा कि चारों आरोपी पुलिसकर्मियों के साथ ही रिश्वत देने वाले शख्स को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।

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