वसंत ऋतु में सौन्दर्य सावधानियां- शहनाज हुसैन

बसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इस मौसम में राग रंग तथा अनेक उत्सव मनाए जाते हैं।मौसम का गरम होना खेतों में पीले फूलों का खिलना, बातावरण में हरियाली, बर्फ का पिघलना ,पेड़ों में नए पते तथा आम के पौधों पर बौरों का आना बसन्त ऋतू की खासियत मानी जाती है। इस ऋतू में सर्दी खत्म होने के साथ ही गर्मी का अहसास होना शुरू हो जाता है जबकि यह मौसम सन्तुलित माना जाता है लेकिन मौसम के बदलने के साथ ही सौंदर्य से जुडी अनेक समस्याएं खड़ी हो जाती है। वसंत ऋतु में मौसम में शुष्क हवा तथा तापमान में बढ़ोतरी से त्वचा के जलन तथा अन्य सौंदर्य समस्याएं उभर जाती हैं। मौसम में बदलाव के साथ ही हमें अपनी सौंदर्य आवश्यकताओं को बदलकर बदलते मौसम के अनुरूप ढालना चाहिएए ताकि हमारी त्वचा तथा बालों को पर्याप्त देखभाल मिल सके।

हम हर मौसम में सुंदर दिखना चाहते हैं लेकिन इसके लिए त्वचा की प्रकृति मौसम के मिजाज तथा उसके पोषक जरूरतों के प्रति निरंतर सजग रहना पड़ता है। वसंत ऋतु शुरू होते ही त्वचा रूखी तथा पपड़ीदार हो जाती है। इस मौसम में त्वचा में नमी की कमी की वजह से रूखे लाल चकत्ते भी पड़ जाते हैं। चकत्ते होने पर तत्काल रासायनिक साबुन का प्रयोग बंद कर देना चाहिए। साबुन की बजाय सुबह.शाम क्लींजर का उपयोग करना चाहिए। इसी तरह घरेलू आयुर्वेदिक उपचार के तौर पर त्वचा पर तिल के तेल की मालिश कर सकते हैं। वैकल्पिक तौर पर दूध में कुछ शहद की बूंदें डालकर इसे त्वचा पर लगाकर 10.15 मिनट तक लगा रहने दीजिए तथा बाद में इसे ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए। यह उपचार सामान्य तथा शुष्क दोनों प्रकार की त्वचा के लिए उपयोगी है।

यदि त्वचा तैलीय है तो 50 मिलीलीटर गुलाब जल में एक चम्मच शुद्ध ग्लिसरीन मिलाइए। इस मिश्रण को बोतल में डालकर इसे पूरी तरह मिलाकर इस मिश्रण को चेहरे पर लगा लीजिए। इससे त्वचा में पर्याप्त आर्द्रता बनी रहेगी तथा ताजगी का अहसास होगा। तैलीय त्वचा पर भी शहद का लेप कर सकते हैं। शहद प्रभावशाली प्राकृतिक आर्द्रता प्रदान करके त्वचा को मुलायम तथा कोमल बनाता है। वास्तव में वसंत ऋतु के दौरान रोजाना 15 मिनट तक शहद का लेप चेहरे पर करके उसे स्वच्छ ताजे पानी से धो सकते हैं। इससे त्वचा पर सर्दियों के दौरान पडे विपरीत प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। वसंत ऋतु में एलर्जी की समस्या बढ़ जाती हैए जिससे त्वचा में खारिशए चकत्ते तथा लाल धब्बे हो जाते हैं। ऐसे में चंदन क्रीम को त्वचा का संरक्षण तथा रंगत रखने में अत्यन्त उपयोगी माना जाता है।

त्वचा के रोगों खासकर फोड़ेए फुंसी लाल दाग तथा चकत्ते में तुलसी भी अत्याधिक उपयोगी है। त्वचा के घरेलू उपचार में नीम तथा पुदीना की पत्तियां भी काफी सहायक मानी जाती हैं। त्वचा की खाज, खुजली तथा फुंसियो में चंदन पेस्ट का लेपन कीजिए। चंदन पेस्ट में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर उसे प्रभावित त्वचा पर लगाकर आधा घंटा बाद ताजे स्वच्छ जल से धो डालिए। चंदन के दो या तीन बूंद तेल को 50 मिलीलीटर गुलाब जल में मिलाइए तथा इसे प्रभावित स्थान पर लगाइए। त्वचा की खारिश में एपल सिडर विनेगर काफी मददगार साबित होता है। इससे गर्मी की जलन तथा बालों में रूसी की समस्या को निपटने में मदद मिलती है।

नींबू की पत्तियों को चार कप पानी में हल्की आंच पर एक घंटा उबालिए। इस मिश्रण को टाइट जार में रातभर रहने दीजिए। अगली सुबह मिश्रण से पानी निचोड़ कर पत्तियों का पेस्ट बना लीजिए तथा इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगा लीजिए। एक चम्मच मुलतानी मिप्ती को गुलाब जल में मिलाकर इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाकर 15.20 मिनट बाद धो डालिए। त्वचा की खारिश में वाईकाबोर्नेट सोडा भी अत्यधिक प्रभावशाली साबित होता है। बायोकाबोर्नेट सोडे तथा मुलतानी मिप्ती एवं गुलाब.जल का मिश्रण बनाकर पैक बना लें तथा इसे खारिशए खुजली चकते तथा फोड़े.फुंसियों पर लगाकर 10 मिनट बाद ताजे स्वच्छ जल से धो लीजिए। इससे त्वचा को काफी राहत मिलेगी।

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