डोनाल्ड ट्रंप की धमकी से सहमा बाजार, सेसेंक्स-निफ्टी जोरदार गिरावट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हफ्ते नए टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इससे दुनियाभर के निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। वैश्विक व्यापार का माहौल भी नकारात्मक हो गया है। यही वजह है कि सप्ताह के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को के इक्विटी बेंचमार्क लाल निशान पर खुले।
निफ्टी 50 सुबह 9:26 बजे तक 0.3 फीसदी गिरकर 23,493.3 पर 23,493.3 पर आ गया। वहीं. बीएसई सेंसेक्स 0.26 फीसदी गिरकर 77,640.74 पर आ गया। गिरावट का यह सिलसिला आगे भी जारी रहा। दोनों सूचकांक 9:44 बजे तक आधा-आधा फीसदी से ज्यादा गिर गए थे।
13 प्रमुख क्षेत्रों में से दस में गिरावट आई। स्मॉलकैप और मिडकैप में 0.6 फीसदी तक लुढ़क गए। मेटल इंडेक्स में सबसे अधिक 2 फीसदी की गिरावट आई। इसकी वजह ट्रंप की धमकी है। उन्होंने रविवार को कहा कि वे अमेरिकी इस्पात और एल्यूमीनियम आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे।
RBI के रेट का भी नहीं दिखा जोश
पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। इसे 8वें वेतन आयोग और बजट में इनकम टैक्स में कटौती के बाद एक और बड़ा तोहफा माना जा रहा था। क्योंकि इससे होम लोन, कार लोन और दूसरे तरह के लोन के सस्ता होने की उम्मीद है। हालांकि, शेयर बाजार रेट कट और आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की टिप्पणियों से खुश नहीं दिखा।
शुक्रवार को रेट कट के एलान के फौरन बाद शेयर मार्केट आधा फीसदी तक गिर गया था। दरअसल, आर्थिक जानकारों का मानना है कि रेट कट से रुपये पर दबाव और भी अधिक बढ़ सकता है, जो पहले ही ऑल टाइम लो लेवल पर है। एक्सपर्ट मौजूदा परिस्थितियों में रेट के फायदे से ज्यादा नुकसान गिना रहे हैं। इससे भी निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित हुआ।
डॉलर के मुकाबले रुपये का हाल
भारतीय रुपया सोमवार को अपने नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की धमकी से अधिकांश क्षेत्रीय मुद्राओं में गिरावट देखी जा रही है। इसमें रुपया भी शामिल रहा। ऐसे में संभावना है कि आरबीआई रुपये को सहारा देने के लिए कुछ कदम उठा सकता है।
शुरुआती कारोबार में रुपया गिरकर 87.95 प्रति अमेरिकी डॉलर पर आ गया, जो पिछले सप्ताह के अपने पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर 87.58 से भी नीचे था। रुपया 09:40 बजे 87.90 पर था। ट्रेडर्स का कहना है कि स्थानीय हाजिर बाजार खुलने से पहले सरकारी बैंकों को डॉलर बेचते हुए देखा गया, जो संभवतः RBI की ओर से था।