खादी एक्सपो में बादाम से महंगा कश्मीरी लहसुन, हैंडमेड बैग महाकुंभ में आए मेहमानों को सीएम दे रहे गिफ्ट
लखनऊ, लखनऊ के गोमती नगर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में खादी एवं ग्रामोद्योग एक्सपो 2025 का आयोजन किया गया। एक्सपो में खादी वस्त्रों के साथ अन्य सामान उपलब्ध हैं। यहां कश्मीर के ड्राई फ्रूट, आगरा के फुटवियर, हरिद्वार के वुलेन कपड़े, भदोही की कालीन आम, मिर्ची और आंवला अचार के साथ सहारनपुर के नक्काशी दार फर्नीचर बेहद पसंद किए जा रहे हैं। खादी एक्सपो में लखनऊ के जूट बैग लोगों की आकर्षण के केंद्र है। सनातन गर्व महाकुंभ पर्व टाइटल के साथ महाकुंभ में हाथ से बना जूट बैग धूम मचा रहा है।
यह वही जूट बैग है जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के हाथ में देखा गया है। एक्सपो में लगे कपड़े, जूट बैग, फर्नीचर और क्रॉकरी सामान हाथों से निर्मित किए गए हैं। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के 120 स्टॉल लगे हैं। जो ओडीओपी के तहत क्षेत्रीय कला को बढ़ावा दे रहे हैं। यह एक्सपो 10 फरवरी तक चलेगा। खादी एक्सपो में जूट से बने बैग, ज्वेलरी और अन्य सामान का स्टॉल आकर्षण का केंद्र है। स्टॉल लगाने वाले सतीश कहते हैं कि यहां मिलने वाले सभी प्रोडक्ट लखनऊ में तैयार किए गए हैं। उनके द्वारा बनाया गया यह जूट बैग पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ कई राजनेताओं और सामाजिक हस्तियों को सीएम योगी तोहफे में दे चुके हैं। सतीश ने बताया कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समय 5000 बैग बनाकर यूपी सरकार को दिया था।
महाकुंभ के विशेष मौके पर भी 5000 से अधिक जूट बैग का ऑर्डर मिला है। जिसे सरकार द्वारा महाकुंभ में आने वाले अतिथियों को तोहफे में दिया जा रहा है। कश्मीर के सलमान कहते हैं कि लखनऊ में कश्मीरी ड्राई फ्रूट्स की काफी डिमांड है। इनकी स्टॉल पर 6 प्रकार के बादाम समेत अन्य मेवे हैं। इसके अलावा सबसे ज्यादा डिमांड कश्मीरी लहसुन की है। इस लहसुन की कीमत 2 हजार रुपए प्रति किलो है। जो बादाम से भी ज्यादा महंगी है। इस विशेष रूप से शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कश्मीरी बादाम की कीमत 600 रुपए से लेकर 1800 रुपए तक है। और कश्मीरी केसर 500 रुपए प्रति ग्राम है। बंगाल की विशेष साड़ियां भी एक्सपो का हिस्सा हैं। पश्चिम बंगाल से आए गोपाल ने बताया कि इन साड़ियों को रविंद्र नाथ टैगोर शांतिनिकेतन स्कूल में तैयार किया जाता है।
कई प्रकार की ट्रेडिशनल साड़ियां हाथों से खास कारीगरों के द्वारा बनाई जाती है। मौजूदा समय में हैंडलूम वर्कर घट रहे हैं। सरकार के एक्सपो और प्रदर्शनी से इसे बढ़ावा मिल रहा है। 2 हजार रुपए से लेकर 1 लाख तक की साड़ियों की डिमांड है। लखनऊ गांधी आश्रम खादी ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक अखिलेश उपाध्याय ने एक्सपो को खादी के लिए लाभदायक बताया। उन्होंने कहा इससे खादी के कपड़ों को बढ़ावा मिलेगा। खादी के कपड़े हाथ से तैयार होते हैं। ये शरीर के लिए फायदेमंद है। चर्म रोग में भी डॉक्टर खादी के कपड़े का इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं। खादी के कपड़ों में बहुत वैराइटी आ गई है। अब डिमांड के अनुसार डिजाइनर खादी कपड़े तैयार किए जा रहे हैं। खादी को महात्मा गांधी ने इस उद्देश्य के साथ शुरू किया था कि भारत के प्रत्येक नागरिक के हाथ में काम हो। मौजूदा समय में विदेशी लोग खादी को काफी पसंद कर रहे हैं। खादी के साथ समस्या है कि इसे कोई अंतरराष्ट्रीय मंच नहीं मिल पा रहा। सरकार को इस विषय में सोचना चाहिए।