विदेश में क्रिटिकल मिनरल माइंस की खरीद बढ़ाएंगी भारतीय कंपनियां

केंद्र सरकार ने प्रौद्योगिक आधारित उद्योगों जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनल्स, सेमीकंडक्टर, कंप्यूटिंग आदि में बहुमूल्य धातुओं (क्रिटिकल मिनरल्स) की जरूरत को देखते हुए 16,300 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनिरल्स मिशन (एनसीसीएम) को मंजूरी दी है। इस मिशन के गठन की घोषणा जुलाई, 2024 में आम बजट में की गई थी।

पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मिशन के गठन का फैसला किया गया जिसका भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कोशिश में अहम योगदान हो सकता है। यह मिशन देश की सरकारी व निजी कंपनियों को बहुमूल्य धातुओं से संपन्न देशों में इनके खानों को खरीदने या अधिग्रहण करने में आर्थिक व दूसरी मदद देगा। अभी इन धातुओं के खदानों के अधिग्रहण के मामले में चीन वैश्विक लीडर है। भारत इस बारे में अमेरिका, आस्ट्रेलिया समेत कई दूसरे देशों के साथ सहयोग स्थापित कर रहा है।

6 साल तक चलेगा मिशन

कैबिनेट के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एनसीसीएम की अवधि वर्ष 2025 से वर्ष 2031 तक के लिए होगी। इसे खनन मंत्रालय लागू करेगा। 16,300 करोड़ रुपये में बजटीय योगदान 2600 करोड़ रुपये की होगी जबकि शेष राशि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां करेंगी। इसके अलावा सरकारी कंपनियों की तरफ से क्रिटिकल मिनिरल्स क्षेत्र में 18,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होने की संभावना है।

मिशन सिर्फ खानों व खनिजों की खरीद की ही नहीं बल्कि इसके लिए देश में आवश्यक प्रशिक्षित श्रम तैयार करने, वित्तीय इकोसिस्टम बनाने का भी काम करेगा। देश में कितनी खनिजों की जरूरत है और इसकी मांग में कितनी वृद्धि होगी, इसका आकलन करना और इसे पूरा करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर सलाह देने का भी काम करेगा।

24 तरह के खनिज क्रिटिकल मिनरल्स

सनद रहे कि केंद्र सरकार ने पहले 24 तरह के खनिजों को क्रिटिकल मिनरल्स घोषित कर रखा है। इसमें ग्रेफाइट, लिथियम, निकल, नाओबियम, गैलियम, कोबाल्ट, कैडीमियम जैसे खनिज हैं। इनमें से कुछ खनिजों के भंडार भारत में है जबकि कई सिर्फ विदेशों में पाये जाते हैं। चीन कई वर्षो से अफ्रीका से लेकर दक्षिण अमेरिकी महादेश के देशों इस तरह के खनिज भंडारों का अधिग्रहण कर रहा है।

यह भी बताते चलें कि पहले से ही भारत सरकार की मदद से 1200 खनन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। क्रिटिकल माइंस की खोज घरेलू स्तर पर तेज की गई है और वर्ष 2030-31 तक 100 खनिज भंडारों की नीलामी करने का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही लद्दाख क्षेत्र में कुछ बेहद उत्साहजनक रिपोर्टें भी आई हैं।

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