रूस से कम और अमेरिका से ज्यादा ऑयल खरीदेगा भारत, जाने कारण…

भारतीय पेट्रोलियम सेक्टर के लिए पूरा परिदृश्य बदलने वाला है। मार्च, 2022 से रूस से काफी ज्यादा कच्चे तेल की खरीद कर रही भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों के लिए अब ऐसा करना आसान नहीं होगा। लेकिन भारतीय कंपनियों की तरफ से अमेरिका से तेल खरीद बढ़ाये जाने की पूरी संभावना है।

वजह यह है कि अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से रूस से तेल खरीदना भारतीय कंपनियों के लिए अब और ज्यादा मुश्किल होने जा रहा है। सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) ने कहा है कि मार्च, 2025 से वह रूस से तेल खरीदना कम करने जा रही है।

अमेरिकी तेल कंपनियों के लिए भारत ही सबसे बड़ा बाजार

दूसरी तरफ, ज्यादा तेल उत्पादन करने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत ही सबसे बड़ा बाजार होगा। जानकार मान रहे हैं कि चीन के साथ मौजूदा तनावपूर्ण रिश्तों को देखते हुए अमेरिकी कच्चे तेल की वहां पर बिक्री बहुत बढ़ने की संभावना नहीं है। ऐसे में भारत ही अमेरिकी क्रूड का बड़ा खरीददार होगा।

‘रूस से ज्यादा क्रूड की खरीदी संभव नहीं’

बीपीसीएल के निदेशक (वित्त) वीआर गुप्ता ने कहा है कि मार्च, 2025 से रूस की क्रूड को लाने के लिए कार्गो उपलब्ध नहीं हो पा रहा। ऐसे में कंपनी के लिए आगे रूस से ज्यादा क्रूड की खरीद करना संभव नहीं है। वह निवेश विशेषज्ञों के साथ एक वर्चुअल सम्मेलन में बोल रहे थे।

रूस से आयात हो रहा था 31 फीसदी तेल

अक्टूबर-दिसंबर, 2024 की तिमाही में बीपीसीएल ने बाहर से जितना कच्चे तेल का आयात किया था उसका 31 फीसद रूस से की थी लेकन जनवरी-मार्च, 2025 में यह हिस्सेदारी घट कर 20 फीसद हो जाएगी। वजह यह है कि 10 जनवरी, 2025 को अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल उत्पादक कंपनियों और 183 तेल वाहक जहाजों पर नये प्रतिबंध लगा दिए हैं।

प्रतिबंध के बावजूद रूस से तेल खरीदा

फरवरी, 2022 में यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद से ही अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये हैं। इस प्रतिबंध के बावजूद भारत लगातार रूस से तेल खरीद कर रहा था लेकिन अब सरकारी अधिकारी भी मान रहे हैं कि नये अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद ऐसा करना आसान नहीं होगा।

अमेरिका से तेल खरीदी में आएगी तेजी!

पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि नये अमेरिकी प्रतिबंध के संभावित असर का आकलन करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच विमर्श चल रहा है। बहुत संभव है कि हम अगले कुछ हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय बाजार से तेल खरीद की अपनी भावी नीति में ज्यादा स्पष्टता लाये। उक्त अधिकारी इस बात की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं कि अगले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रिफाइनरियों में अमेरिका से ज्यादा तेल आये।

2021 में तेल खरीदी में यूएस की हिस्सेदारी थी महज 15 फीसदी

यहां सनद रहे कि मार्च-अप्रैल, 2022 से भारत ने रूस से ज्यादा तेल की खरीद करने की शुरुआत की और इसका असर यह हुआ कि सउदी अरब, ईराक के साथ ही भारत ने अमेरिका से भी कम तेल की खरीद की। भारत ने वर्ष 2017 से ही अमेरिकी तेल की खरीद शुरू की थी लेकिन वर्ष 2021 तक भारत की कुल तेल आयात में अमेरिकी हिस्सेदारी बढ़ कर 15 फीसद हो गई थी।

यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल खरीद कई गुणा बढ़ा दिया था। फरवरी, 2022 तक भारत के कुल तेल खरीद में रूस का हिस्सा महज 2 फीसद था। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-सितंबर, 2024 की छमाही में भारत ने औसतन रोजाना 17 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद रूस से की है।

रूसी तेल की हिस्सेदारी 41 फीसदी

भारत के कुल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी बढ़ कर 41 फीसद तक पहुंच गई है। जबकि अमेरिकी तेल की हिस्सेदारी घट कर 5-6 फीसद हो गई है। वैसे अभी भी अमेरिका भारत के पांच सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ता देशों में से है। भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी तेल की खरीद करने का एक फायदा यह है कि इसके लिए यूरोपीय देशों में बहुत बड़ा बाजार आसानी से मिलेगा। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी दो दिन पहले अमेरिका से ज्यादा तेल खरीदने की संभावना जताई है।

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