विकास का नारा, विनाश का खेल, एलडीए अधिकारियों की करतूत
- प्रवर्तन जोन-7 में विकास का मॉडल या भ्रष्टाचार का अड्डा?
लखनऊ, लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अधिकारियों की मिलीभगत से बाजार खाला क्षेत्र स्थित बुलाकी अड्डा चौराहे पर मस्जिद और कब्रिस्तान की जगह पर अवैध निर्माण किया जा रहा है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि इस अवैध निर्माण की जानकारी कई बार एलडीए को दी गई, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। निर्माण लगभग पूरा होने की कगार पर है, फिर भी अधिकारी निर्माण को बचाने में लगे हुए हैं। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार को उजागर करता है बल्कि एलडीए की अक्षमता और लापरवाही को भी दर्शाता है। एलडीए अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं, जो कि एक गंभीर मामला है। यह मामला प्रवर्तन जोन-7 में विकास के नाम पर विनाश की ओर इशारा करता है।
इस निर्माण से एलडीए अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की बू आती है। यह सवाल उठता है कि क्या एलडीए अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन करने में असफल हो रहे हैं या फिर वे इसमें शामिल हैं? मालूम हुआ कि शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन एलडीए के अधिकारियों ने झूठा दावा करते हुए कहा कि निर्माण कार्य के लिए आवश्यक नक्शा स्वीकृत कर दिया गया है। जबकि हकीकत में स्वीकृत नक्शा वास्तविक निर्माण से काफी कम है। यह मामला दर्शाता है कि नक्शा विभाग से लेकर प्रवर्तन विभाग तक सभी अधिकारी इस अवैध निर्माण में शामिल हैं। एलडीए के अधिकारी इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण को कैसे अनुमति दे सकते हैं, यह एक गंभीर सवाल है। मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद एलडीए के अधिकारी खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
यह मुख्यमंत्री के आदेशों का खुला अपमान है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री जी, प्रमुख सचिव (आवास), राजस्व परिषद अध्यक्ष व जिलाधिकारी लखनऊ और मंडलायुक्त को लिखित शिकायत से अवगत कराया था। लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह एक गंभीर मामला है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए। एलडीए के भ्रष्ट अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। इस संबंध में शिकायतकर्ता ने प्रवर्तन जोन-7 के जोनल अधिकारी से मिलकर अवैध निर्माण के बारे में पूरी जानकारी दी थी। जोनल अधिकारी ने आश्वासन दिया था कि निर्माण पर जल्द कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इस मामले में लापरवाही या भ्रष्टाचार का मुखौटा स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। यह सवाल उठता है कि क्या एलडीए के अधिकारी अवैध निर्माण को रोकने में असफल हो रहे हैं या फिर वे इसमें शामिल हैं। मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए और एलडीए के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। अवैध निर्माण को तत्काल गिराया जाना चाहिए और दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए। इसके अलावा एलडीए को अपनी कार्यशैली में सुधार करना चाहिए और अवैध निर्माण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।