ट्रंप के फैसले से विरोधी दलों में मची हलचल, 20 राज्यों की सरकार पहुंची कोर्ट
राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने जन्मसिद्ध नागरिकता कानून (US Birthright Citizenship) को खत्म कर दिया। दरअसल, नए नियम के मुताबिक अब उसी बच्चे को अमेरिका की नागरिकता मिलेगी, जिसके मां-बाप या दोनों में से कोई एक अमेरिकी नागरिक हों या फिर माता-पिता के पास ग्रीन कार्ड हो।
ट्रंप के इस फैसले से डेमोक्रेटिक पार्टी नाराज है। अमेरिका के 20 राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार है। इन सभी राज्य सरकारों ने कोर्ट का रुख करते हुए ट्रंप के फैसले पर आपत्ति जताई है।
डेमोक्रेटिक पार्टी का आरोप है कि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश ने संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन किया है। वॉशिंगटन डीसी और सैन फ्रांसिस्को सहित 18 राज्यों द्वारा किए गए एक मुकदमे में कहा गया है।
पेन के एक झटके से संविधान नहीं बदल सकते ट्रंप: मैथ्यू प्लैटकिन
न्यू जर्सी के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू प्लैटकिन ने न्यूज चैनल CNN से बातचीत करते हुए कहा, “राष्ट्रपति को वह नीति एजेंडा पेश करने का अधिकार है जो उन्हें सही लगे। जब जन्म से जुड़ी नागरिकता की बात आती है तो राष्ट्रपति एक पेन से एक झटके से संविधान को फिर से नहीं लिख सकते और कानून के शासन को खत्म नहीं कर सकते।”
क्या कहता है अमेरिका का संविधान?
अमेरिकी संविधान में हुए 14वें संशोधन के मुताबिक जन्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है। मतलब, अमेरिका में जन्म लेने वाला हर बच्चा खुद ही अमेरिका का नागरिक बन जाता है। भले ही उसके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी रही हो।
अमेरिका में सबको बराबरी का अधिकार देने के मकसद से यह संविधान संशोधन 1868 में लागू हुआ था। काफी समय से राजनीतिक दल अवैध प्रवासियों और घुसपैठ का मुद्दा लगातार उठा रहे थे। खासतौर पर ट्रंप इसके सख्त खिलाफ थे।
भारतीयों पर भी पड़ेगा इसका असर
48 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कई बच्चों को जन्म के आधार पर नागरिकता मिली है। लेकिन अब ट्रंप के आदेश के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा। अब ऐसे बच्चों को अमेरिका की नागरिकता नहीं मिल पाएगी, जो अमेरिका की जनसंख्या में अब तक ग्रीन कार्ड या फिर एच-1बी वीजा के इंतजार में रह रहे भारतीयों के बच्चों को मिल जाती थी, क्योंकि उनका जन्म अमेरिका में हुआ था।