डॉलर के मुकाबले रुपये में 3% की गिरावट, जाने आम आदमी की जेब पर कितना पड़ेगा असर

 वैश्विक अनिश्चतता और अमेरिका में सत्ता संभालने जा रही ट्रंप सरकार की संभावित नीतियों से डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट हो रही है। पिछले तीन महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपये में तीन प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है।

यह गिरावट कुछ और दिनों तक जारी रही तो वे सभी आइटम महंगे हो सकते हैं जिनके कच्चे माल के लिए हम आयात पर निर्भर है। वहीं, खाद्य तेल, दाल जैसे आइटम भी महंगे होंगे क्योंकि इनके लिए भी हम आयात पर निर्भर करते हैं। रुपए में गिरावट महंगाई के साथ हमारी अर्थव्यवस्था के विकास पर भी विपरीत असर डाल सकती है।

आयात बिल बढ़ा तो चालू खाते के घाटे को बढ़ाएगा

भारत एक आयात प्रधान देश है। इससे हमारा आयात बिल बढ़ेगा जो हमारे चालू खाते के घाटे को बढ़ाएगा। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-नवंबर में भारत ने 284 अरब डॉलर का निर्यात किया तो इस अवधि में 486 अरब डॉलर का आयात किया गया। पेट्रोलियम पदार्थों की 80 प्रतिशत जरूरत की पूर्ति भी हम आयात से करते हैं। रुपए में गिरावट से ये आइटम भी महंगे हो सकते हैं।

मंगलवार को एक डॉलर का मूल्य रहा 86.57 रुपए

मंगलवार को एक डॉलर का मूल्य 86.57 रुपये बताया गया, जबकि 14 दिसंबर को यह मूल्य 84.80 रुपए था। एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता के मुताबिक रुपये में हो रही इस गिरावट से खुदरा महंगाई दर एकदम से नहीं बढ़ेगी, क्योंकि खुदरा महंगाई दर को मापने वाले बास्केट में मुख्य रूप से घरेलू स्तर पर उत्पादित वस्तुएं व सेवाएं शामिल हैं।

रुपये ​में गिरावट का उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर

हालांकि रुपए में गिरावट जारी रहने पर आयातित माल की लागत बढ़ेगी और एक समय के बाद इसका भार उपभोक्ताओं पर डालना होगा। इससे खुदरा महंगाई बढ़ सकती है। कई दवा के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम व केमिकल्स के कच्चे माल के लिए भारत काफी हद तक आयात पर निर्भर करता है। दवा व इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की बढ़ी लागत को कंपनियां एक समय तक ही बर्दाश्त कर सकती है।

रुपया गिरा तो निर्यातकों को फायदा

पेट्रोलियम पदार्थों के साथ खाद के लिए भी भारत लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। रुपये में गिरावट से इन दोनों के आयात का बिल बढ़ेगा। हालांकि रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा होता है क्योंकि डॉलर में उनका माल सस्ता हो जाता है। लेकिन भारत में निर्यात होने वाले अधिकतर आइटम के कच्चे माल आयात किए जाते हैं।

अभी ब्याज दर में कटौती नहीं करेगा अमेरिका

कच्चे माल के महंगे होने पर उनकी लागत अधिक हो जाएगी और फिर उन वस्तुओं के निर्यातकों को भी कोई लाभ नहीं मिलेगा। जानकारों के मुताबिक अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि फिलहाल वहां ब्याज दरों में कटौती नहीं होने जा रही है।

आरबीआई के लिए खड़ी होगी यह मुश्किल

दूसरी तरफ ट्रंप सरकार सत्ता में आते ही डॉलर में मजबूती के लिए और कदम उठा सकती है। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट की आशंका जारी रहेगी। ऐसे में जानकार कह रहे हैं कि फरवरी माह में आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती करना आसान नहीं होगा।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker