1978 के दंगों की नए सिरे से जांच करेगी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल में 1978 के दंगों की नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही पुलिस से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। पुलिस अधीक्षक (एसपी) को गृह (पुलिस) विभाग के उप सचिव से एक पत्र मिला, जिसमें जांच का नेतृत्व करने के लिए एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, एसपी ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को पत्र लिखकर संयुक्त जांच के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति का अनुरोध किया है।

7 जनवरी को संभल के एसपी केके बिश्नोई ने संभल के जिला अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया को एक पत्र लिखा और बताया कि यूपी विधान परिषद सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने संभल में 1978 के दंगों की जांच की मांग की है। इस पर उन्हें यूपी के उप सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) की ओर से पत्र मिला है। ऐसे में पुलिस की ओर से जांच में संभल के एसपी होंगे।

दंगों में हुई थी बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी

संभल में 1978 के दंगों ने कथित तौर पर महत्वपूर्ण सांप्रदायिक अशांति पैदा की, जिसके कारण बड़े पैमाने पर हिंसा, आगजनी हुई और कई हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा। बचे हुए लोगों ने बताया है कि दंगों के दौरान कई हिंदू मारे गए, जिससे उन्हें क्षेत्र से भागने पर मजबूर होना पड़ा।

प्राचीन कार्ति‍क महादेव मंद‍िर के खुलने के बाद दंगों की जांच की द‍िलचस्‍पी

दंगों में यह नई दिलचस्पी संभल में प्राचीन कार्तिक महादेव मंदिर के फिर से खुलने के कुछ समय बाद आई है, जो 46 साल से बंद था। मंदिर को फिर से खोलने का फैसला 24 नवंबर, 2024 को शाही जामा मस्जिद में एक सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसक घटना के बाद लिया गया है।

पलायन कर चुके लोगों ने क्‍या कहा?

दंगों के कारण पलायन कर चुके पूर्व निवासियों ने अपने भयावह अनुभवों को साझा किया और मंदिर के पुनः खुलने का स्वागत किया, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि यह न्याय और सुलह की दिशा में एक कदम है। संयुक्त जांच का उद्देश्य 1978 की घटनाओं पर प्रकाश डालना और हिंसा के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

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