बाघ को खोजने निकलीं सुलोचना और डायना, अब तक कर चुकी हैं 5 सर्च ऑपरेशन

लखनऊ, राजधानी लखनऊ में बाघ को खोजने के लिए सुलोचना और डायना निकल चुकी हैं।घ् बाघ तीसरी बार मचान के पास पहुंचा लेकिन वन विभाग की टीम पकड़ नहीं पाई है। वन विभाग को उम्मीद है कि शाम तक दोनों हाथियों की मदद से बाघ को पिंजरे में कैद कर लिया जाएगा। शुक्रवार को हथिनी सुलोचना और डायना दुधवा से 12 घंटे का सफर तय कर पहुंची हैं।

दोनों को नियंत्रण करने के लिए चार महावत हैं। महावतों ने बताया कि सुलोचना और डायना ने अब तक पांच ऑपरेशन किया है। यह छठा सर्च ऑपरेशन है। महावत आयूब ने बताया कि सुलोचना और डायना 35 साल की उम्र पूरी कर चुकी हैं। 2008 में सुलोचना पश्चिम बंगाल से और 2018 में डायना कर्नाटक से दुधवा लाई गई थी। इन्हें प्रशिक्षण देकर ट्रेंड किया गया है। दोनों हथिनी पीलीभीत, महेशपुर, बिजनौर की नगीना रेंज, पलिया और किशनपुर रेंज में बाघ का ऑपरेशन कर चुकी हैं। महावत मेहताब ने बताया दोनों हथिनी एक साथ कॉम्बिंग करेंगी। हाथी पर एक महावत और एक डॉक्टर बैठेंगे।

पगचिन्हों को ट्रेस कर बाघ की लोकेशन का पता लगाएंगी। जैसे ही बाघ की लोकेशन पता लगेगी। हथिनियों को उसी जगह खड़ा कर दिया जाएगा। जिससे डॉक्टर बाघ को ट्रांकुलाइज कर सकें। हथिनी पैर से जमीन पर खरोचेंगी। आवाज से बाघ की लोकेशन का अलर्ट देंगी। महावत ने बताया कि 24 घंटे में एक हथिनी की खुराक चार कुंटल गन्ना, एक किलो गुड़, एक किलो चना, 10 किलो चावल, 200 ग्राम सोयाबीन,100 ग्राम सरसो का तेल और 30 से 40 लीटर पानी की खुराक है। इधर, सीसीएफ रेणु सिंह और डीएफओ डॉ. सितांशु पांडेय ने संस्थान पहुंच कर सुलोचना और डायना का हाल चाल लिया है। डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया कि बाघ मचान के काफी करीब आ गया था।

मचान से कुछ मीटर की दूरी पर बाघ के पगचिह्न मिले, लेकिन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसी) की गाइडलाइंस के चलते बाघ को रात में ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सकता है। एक माह से बाघ की दहशत बनी हुई। 20 किमी की एरिया में तीन जिलों के 6 टीमें बाघ को तलाश रही हैं। शुक्रवार सुबह बाघ ने बहरु गांव में बाघ का शिकार किया। अब दुधवा नेशनल पार्क से प्रशिक्षित हथिनी सुलोचना और डायना को बुलाया गया है। वन विभाग की टीम हथिनियों के सहारे बाघ को पकड़ेगी। यह बाघ को ट्रेस करने में ट्रेंड हैं। सूंघकर बाघ की लोकेशन तक पहुंच जाती हैं।

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