घर खरीदारों के संगठन ने उपभोक्ता मंत्रालय से की एक्शन लेने की मांग
रियल एस्टेट सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों का मुद्दा उठाते हुए घर खरीदारों के संगठन-फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट (FPCE) ने उपभोक्ता मंत्रालय से इस बारे में नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।
FPCE के प्रमुख अभय उपाध्याय ने उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव निधि खरे को लिखी चिट्ठी में कहा है कि एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की छमाही शिकायत रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में रियल एस्टेट सेक्टर के 34 प्रतिशत विज्ञापन भ्रामक (misleading) पाए गए। यही स्थिति पूरे देश की है। ये विज्ञापन रियल एस्टेट से संबंधित कानून का सीधा उल्लंघन हैं।
ASCI ने 2115 विज्ञापनों की जांच की थी। इनमें से 1027 भ्रामक पाए गए। 59 प्रतिशत मामलों में सुधार के लिए डेवलपरों ने विज्ञापन या तो वापस ले लिए या उनमें जरूरी बदलाव किया। 629 में कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये सभी मामले महाराष्ट्र रेरा को दिए गए, जिसने महज 88.90 लाख रुपये का जुर्माना किया।औसत रियल एस्टेट डेवलपर पर 14-15 हजार रुपये का अर्थदंड आया।
फोरम के अनुसार इसे दंड कहना भी बेमानी है। इसलिए जरूरी है कि इसे लेकर फिर से कोई दिशा-निर्देश जारी किया जाए। रेरा की भूमिका पर सवाल उठाते हुए फोरम पहले भी उपभोक्ता मंत्रालय से इसी तरह की मांग अगस्त में कर चुका है।