द. कोरिया में मार्शल लॉ लगाने वाले राष्ट्रपति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी, मिल सकती है मौत की सजा

दक्षिण कोरिया में हाल ही में रातों रात मार्शल लॉ लगाने वाले राष्ट्रपति यून की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रपति यून सुक येओल को हिरासत में लेने और उनके दफ्तर और घरों की तलाशी लेने के लिए वारंट जारी किए हैं। देश में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसी ने कहा है कि वह इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या उनकी घोषणा विद्रोह के बराबर थी। वहीं विपक्षी दलों ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी पेश किया है।

दक्षिण कोरिया के अधिकारियों के एक बयान के मुताबिक सियोल की एक कोर्ट ने यून को हिरासत में लेने और कार्यालय और घर की तलाशी लेने के लिए वारंट जारी किए। दक्षिण कोरिया के कानून की बात करें तो विद्रोह का दोषी पाए जाने पर उन्हें मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा भी दी जा सकती है। फिलहाल राष्ट्रपति पद पर होने की वजह से यून को ज्यादातर आपराधिक मुकदमों से छूट मिली है। हालांकि यह विशेषाधिकार विद्रोह या देशद्रोह के आरोपों में नहीं मिलता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक यून को औपचारिक रूप से पद से नहीं हटाया जाता तब तक हिरासत में लेने या तलाशी लेने की संभावना कम है।

यून ने दिए थे तर्क

गौरतलब है कि 14 दिसंबर को मार्शल लॉ लागू लगने के बाद विपक्ष द्वारा नियंत्रित नेशनल असेंबली ने यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। तब से राष्ट्रपति यून की शक्तियां निलंबित हैं। देश में अचानक लगाए गए मार्शल के बाद सैकड़ों सैनिक और पुलिस अधिकारी सियोल की सड़कों पर उतर आए थे। यून ने तर्क दिया था कि उनका आदेश पूरी तरह वैध था। उन्होंने कहा था कि विपक्षी पार्टियों उत्तर कोरिया के साथ मिलकर देश को कमजोर करने का काम कर रही है।

वारंट की कर सकते हैं अनदेखी

द कोरिया की संवैधानिक कोर्ट को यह तय करना है कि यून को राष्ट्रपति पद से बर्खास्त किया जाए या नहीं। विशेषज्ञों ने कहा कि यून वारंट की अनदेखी कर सकते हैं। यून के एक वकील ने सोमवार को भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के वारंट को खारिज करते हुए कहा है कि विद्रोह के आरोपों की जांच करने के लिए उनके पास कानूनी अधिकार नहीं है।

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